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Press Coverage

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Mar 2, 2024

65 साल के मरीज को दिया चलने का दूसरा मौका - स्पाइन सर्जरी से किया 2 साल से अपंग को चलनशील - पारस ग्लोबल हॉस्पिटल दरभंगा

पारस हॉस्पिटल दरभंगा ने फिर से किया  मेडिकल ट्रीटमेंट से करिश्मा|  उच्च  कोटि की सर्जरी और देखभाल से दिया 65 साल के मरीज़ को चलने का दूसरा मौका| डॉ एजाज़ अहमद, न्यूरो सर्जरी विशेषज्ञ ने नवीनतम टेक्नोलॉजी और सही क्लीनिकल प्रोटोकॉल से मरीज़ की स्पाइनल कॉर्ड इंजरी को सही किया और स्पाइनल कॉर्ड में हुए टी बी का भी सही इलाज करवा कर , पेशेंट को फिर से चलने की क्षमता दी|

दरभंगा के निवासी और 65 वर्षीय मोज़्ज़फर अली को 1 साल से चलने और बैठने में तकलीफ थी| उनको हॉस्पिटल के इमरजेंसी डिपार्टमेंट में दुर्बलता, कमज़ोरी, पीठ में दर्द, और पेशाब का रोकने की दुर्बलता के साथ लाया  गया था| उनके घर वालों ने बताया कि 1 महीने से वह घर पर शय्याग्रस्त थे| डॉ एजाज़ अहमद, न्यूरो सर्जरी विशेषज्ञ, पारस हॉस्पिटल दरभंगा ने इमरजेंसी डॉक्टर्स के साथ पेशेंट की तुरंत जांच की और एम् आर आई के लिए पेशेंट को तैयार करवाया| जांच पर यह पता चला की मोज़्ज़फर अली  को जटिल स्पाइनल कॉर्ड इंजरी है, उनकी रेडिओलॉजी की रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट हुआ की उनको स्पाइनल कॉर्ड टी बी है|

सभी तत्वों को समझाने के बाद डॉ एजाज ने मोज़्ज़फर अली  को सर्जरी की सलाह दी| सर्जरी में स्पाइनल कॉर्ड डीकम्प्रेशन, डोर्सल स्पाइन फ्यूज़न और  स्पाइन के नेक्रोटिक या परिगलित और टी बी से ग्रस्त ऊतकों या टिशूज़ को निकलने का निर्णय लिया गया| पेशेंट और उसके अटेंडेंट्स को डॉक्टर्स ने यह स्पस्ट कर दिया की यह स्टेज वाइज ऑपरेशन होगा |

डॉ एजाज़ आलम, न्यूरो सर्जरी विशेषज्ञ के अनुसार, “स्पाइनल कॉर्ड इंजरी में रीढ़ की हड्डी नष्टधर्मी या ख़राब हो जाती है , इसका कारण कोई चोट या एक्सीडेंट हो सकता है| ऐसा किसी कैंसर या टी बी की बीमारी से भी हो सकता है| दुनिया भर में 4 – 8 करोड़ लोग प्रति वर्ष इस रोग से पीड़ित होते हैं| स्पाइनल कॉर्ड इंजरी के मुख्य संकेत और लक्षण हैं शरीर में कोई सनसनी न होना, हाथ और पैरों का न चलना, मूत्राशय पर  नियंत्रण न होना, मॉल में कोई नियंत्रण न होना, यौन समारोह में कमी , बुखार आना और सांस लेने में तकलीफ| यदि किसी में भी यह लक्षण है तो तुरंत ही उनको एक न्यूरोसर्जन से मिलवाएं| सभी को यह भी जानना ज़रूरी है की सही समय पर ट्रीटमेंट और निदान, स्पाइनल कॉर्ड इंजरी में मदद कर सकता है |

डॉ एजाज़ आलम बताते हैं की मोज़्ज़फर अली की पहले स्पाइनल डी कम्प्रेशन सर्जरी की गई, जिससे वह फिर सही तरह से चल पाएं और अपने पैरों पर खड़े हो पाएं I दूसरे स्टेज में उनकी स्पाइनल कॉर्ड में जो टी.बी. थी उसका इलाज हुआ| एक सर्जरी में उनके टी बी से ग्रस्त टिशू निकले गए और उनको टी बी की दवाईयों पर डाला गया I सही ट्रीटमेंट और दवाइयों का असर मोज़्ज़फर अली पर पड़ा और वह सर्जरी के 10 दिन बाद ही अपने आप चलने लगे I आज भी वह फिजियोथेरेपी ले रहे हैं और आज वो एक छड़ी के सहारे चल फिर सकते हैं |

मोज़्ज़फर अली के अनुसार, “मैं पारस और डॉ एजाज़ अहमद जी का बहुत शुक्र-गुज़ार हूँ| उन्होंने मेरी तब मदद की जब हम सब विश्वास खो बैठे थे I मैं इस बात का भी आभारी हूँ की दरभंगा में ही हमें सही और किफायती इलाज मिल गया| यह लोगों की गलत अनुभूति है की पारस में मेहेंगा इलाज होता है I मुझे सही, उचित इलाज अपने ही शहर में मिल गया और आज भी मुझे डॉक्टर से मिलने के लिए कहीं दूर नहीं जाना पड़ता |”