Mar 2, 2024
लंग्स कैंसर जागरूकता माह के दौरान पारस एचएमआरआई ने चलाया जागरूकता कार्यक्रम |
प्रदूषित वातावरण में काम कर रहे ट्रैफिक पुलिस कर्मियों के बी. पी. शुगर और लंग्स की पीएफटी जांच की |
धूल-धक्कड़ में काम करने वाले पुलिस की ड्यूटी में बदलाव तथा प्रशासन और सरकार से नियमित पानी का छिड़काव करने का दिया सुझाव |
पटना 24 नवम्बर 2018: पारस एचएमआरआई सुपर स्पेशिलिटी हाॅस्पिटल की मेडिकल टीम ने लंग्स कैंसर जागरूकता माह के तहत पटना के अति प्रदूषित वातावरण में काम कर रहे ट्रैफिक पुलिसकर्मियों के बीच जागरूकता अभियान चलाया। हाॅस्पिटल के मेडिकल टीम ने पुनाइचक, हड़ताली मोड़, डाकबंगला रोड तथा गांधी मैदान स्थित ट्राफिक पुलिस के चेक पोस्ट पर पहुंच उनके स्वास्थ्य की जांच की और उन्हें मास्क प्रदान किये। यह अभियान पारस एचएमआरआई हाॅस्पिटल ने प्रसिद्ध दवा कंपनी सिपला के साथ मिलकर चलाया।
हाॅस्पिटल के रिजनल डायरेक्टर डाॅ. तलत हलीम ने कहा कि हमारे मेडिकल टीम ने स्टाफों ने ट्रैफिक पुलिसकर्मियों के बी.पी., शुगर और पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट (पीएफटी) की जांच की और उनके बीच ‘मास्क’ का वितरण किया। उन्होंने कहा कि हमने ट्रैफिक पुलिसकर्मियों के बीच जागरूकता चलाने का कार्यक्रम इसलिए तय किया कि वे धूल-धकड़ के बीच रहकर काम कर रहे हैं। इसका सीधा प्रभाव उनके लंग्स पर पड़ता है। लंग्स में इंफेक्शन से इसका सीधा असर हर्ट पर पड़ता है। उन्होंने कहा कि मेरा तो पुलिस अधिकारियों से यह सुझाव है कि वे अति प्रदूषित स्थान पर आठ घंटे की बजाय दो घंटे ही काम लें और बाकी समय उन्हे उन जगहों पर पोस्टिंग दे जहां का वातावरण कम प्रदूषित हो। इससे उनका स्वास्थ्य ठीक रहेगा। मास्क के बारे में उन्होंने कहा कि पटना में उड़ रहे छोटे-छोटे धूलकणों से बचने के लिए एन-95 मास्क का इस्तेमाल होना चाहिए, साधारण मास्क बहुत काम नहीं कर पाता है। इसलिए हमने पुलिसकर्मियों के बीच एन-95 मास्क का वितरण किया है, जो कीमती मास्क है। हमारी मेडिकल टीम ने पटना के अलग-अलग ट्रैफिक पोस्ट पर जाकर लगभग 60 ट्रैफिक पुलिस स्टाॅफ की जाॅच की जहाॅ उनमें से 15 ट्रैफिक पुलिस स्टाॅफ को डाक्टर से सलाह लेने के लिए कहा गया।
हाॅस्पिटल के कैंसर विशेषज्ञ डाॅ. आर.एन. टैगोर ने कहा कि भारत में लंग्स कैंसर पुरूषों में सबसे ज्यादा पाया जाता है तथा महिलाओं में तेजी से फैलता जा रहा है। यह कैंसर कोई अपना लक्षण नहीं छोड़ता है। इसलिए मात्र 10 प्रतिशत मामले ही शुरू में पकड़ में आते हैं जबतक वह लंग्स में रहता हैं अगर इसकी शुरूआती दौर में पहचान हो जाए तो इसके ठीक होने की संभावना रहती है, लेकिन ऐसा नहीं हो पाता। कभी कभी तो लंग्स में कैंसर को लोग टी.बी. समझने की भूल करते हैं, इसलिए यह शुरूआती दौर में पकड़ में नहीं आ पाता है। उन्होंने कहा कि चेस्ट एक्सरे में प्रत्येक छाया टीबी नहीं हो सकता है। इसलिए एक्सरे में छाया निकालने पर एक बार कैंसर विशेषज्ञ से जरूर सलाह ले लें। सिगरेट पीने वाले, धूल-धुआं के बीच काम करने, रहने वालों में इसका अधिक खतरा है। आजकल के प्रदूषित वातावरण के कारण लंग्स कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं।
पारस एचएमआरआई हाॅस्पिटल अपनी काॅरपोरेट सोशल रिस्पाँसबिलिटी (सी.एस.आर.) के तहत विपरित परिस्थिति में काम करने वाले टैªफिक पुलिस के बीच उनके स्वास्थ्य के लिए अभियान चलाता हैं बरसात में हाॅस्पिटल ने टैªफिक पुलिसकर्मियों के बीच छाता का वितरण किया था, जबकि गर्मी में उनकी स्वास्थ्य जांच कर उन्हें पानी और ओआरएस का घोल भी पिलाया था। हाॅस्पिटल का मानना है कि जो हमलोगों की सुधि लेता है, हमें उनकी भी सुधि लेना चाहिए।