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Mar 2, 2024

पारस हॉस्पिटल ने की ऐसी पहली कॉन्कोमिटेंट एंजियोप्लास्टी जिसमेँ भारत में दुनिया का सबसे छोटा पेसमेकर किया गया इम्प्लांट

पारस हॉस्पिटल ने की ऐसी पहली कॉन्कोमिटेंट एंजियोप्लास्टी जिसमेँ भारत में दुनिया का सबसे छोटा पेसमेकर किया गया इम्प्लांट

साल के मरीज को एक बेहद अनोके कॉम्बिनेशन वाली समस्या थी जिसमेँ उन्हेँ कम्प्लीट हार्ट ब्लॉक और बाएँ एंटीरियर डिसेंडिंग आर्टरी ;एलएडीद्ध में एक बडा ब्लॉकेज था।

मरीज की ओपेन हार्ट सर्जरी और ब्लीडिंग के खतरे से बचने से लिए उनके पैर के जरिए सामान्य आकार के पेसमेकर की तुलना में 10 गुना छोटा एक पेसमेकर इंसर्ट किया गया।

यह भारत का पहला ऐसा मामला है जिसमेँ पेसमेकर इम्प्लांट करने के बाद 24 घंटे के भीतर एक जटिल एंजियोप्लास्टी की गई।

माइक्रा दुनिया का सबसे छोटा पेसमेकर है जिसे मरीज की एंजियोप्लास्टी के बाद उसमेँ इम्प्लांट की गई।

गुडगांव 28 सितम्बर 2018:  एक 86 वर्ष के बुजुर्ग व्यक्ति को एक अनोखे कॉम्बिनेशन वाली समस्या थाए जिसमेँ उनका दिल पूरी तरह से ब्लॉक हो गया था और उनके बाएँ एंटीरियर डिसेंडिंग आर्टरी ;एलएडीद्ध में भी एक बडा ब्लॉकेज था। एक जटिल एंजियोप्लास्टी कर उनके शरीर में माइक्रा इम्पांट किया गयाए जो कि दुनिया का सबसे छोटा पेसमेकर है। ओपेन हार्ट सर्जरी करने के बजाय यह पेसमेकर मरीज के पैर के जरिए स्टेंट की तरह अंदर ले जाया गया।

पारस हॉस्पिटल गुडगांव के यूनिट हेड एवम एसोसिएट डायरेक्टर.इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजीए डॉ अमित भूषण शर्मा जिन्होने कार्डियोलॉजिस्ट की एक टीम के साथ मरीज का ऑपरेशन कियाए वह कहते हैंए श्मरीज को बेहद गम्भीर स्थिति में हॉस्पिटल लाया गया था। तब उनका दिल 28ध्मिनट की गति से धडक रहा था। हमने उनके दिल की स्थिति का पता लगाने के लिए एक इमर्जेंसी एंजियोग्राम किया जिसमेँ पता चला कि उन्हेँ प्रॉक्सिमल एलएडी में 99ः ब्लॉकेज है जो कि एलएडी के बीचोँबीच है। हमेँ उनकोँ खून को पतला करने वाली दवा देनी थी। ऐसे में सर्जरी के दौरान बहुत अधिक ब्लीडिंग का खतरा था इसलिए उनकी ओपेन हार्ट सर्जरी और परम्परागत पेसमेकर इम्प्लांट करने की हालत नहीं थी। ऐसे में मरीज के लिए माइक्रा ही आदर्श विकल्प था क्योंकि इसे लगाने के लिए न तो चीरा लगाना पडता है और न ही टांके।

एलएडी एक बडी नस है जो दिल को 70ः ब्लड सप्लाई करने का काम करती है। यह मामला इसलिए बेहद जटिल था क्योंकि अगर हम उन्हेँ परम्परागत पर्मानेंट पेसमेकर लगाते तो उन्हेँ खून को पतला करने वाली दवा नहीं दे सकते थेए और ऐसा करने से उनको हार्ट अटैक होने का खतरा काफी बढ जाता। इसके साथ ही ऐसी स्थिति में कम से कम एक हफ्ते तक एंजियोप्लास्टी और स्टेंटिंग नहीं हो पाती और इस दौरान 99ः ब्लॉकेज टोटल ब्लॉकेज में तब्दील हो जाता और एक जीवनघातक मायोकार्डियल इंफ्रैक्शन ;हार्ट अटैकद्ध का कारण बन जाता। अगर स्टेंटिंग पहले की जाती तो पेसमेकर लगाने के लिए 6 महीने तक इंतजार करना पडता।

इस में पेसमेकर इम्प्लांटेशन ने भारत में पहली बार जानलेवा ब्लॉकेज से पीडित 80 साल के बुजुर्ग की जान बचाई हैय इस तरह का एक अन्य मामला 2016 में ब्राज़ील में दर्ज हुआ है। भारत में अब तक कुल 12 मामलोँ में माइक्रा ट्रान्सकैथेटर पपेसिंग सिस्टम ;टीपीएसद्ध इस्तेमाल किया गया है।

डॉ शर्मा कहते हैं श्माइक्रा पेसमेकर लगाने से ब्लीडिंग का खतरा नहीं रहताए चूंकि इसमेँ कोई चीरा और टांके नहीं लगतेए इसलिए संक्रमण का खतरा भी नहीं रहता है। यद्यपिए 15ः मामलोँ में पेसमेकर की केबल टूट जाती है और सर्जरी के बाद जटिलताएँ आती हैं।

माइक्रा ट्रांसकैथेटर पेसिंग सिस्टम ;टीपीएसद्ध एक लेटेस्ट हार्ट डिवाइस है जो कि सबसे एडवांस पेसिंग तकनीक से बनी है और इसका आकार अन्य उपलब्ध पेसमेकर की तुलना में दस गुना छोटा हैए यह करीब.करीब 50 पैसे के सिक्के के आकार का होता है। यह किसी विटामिल कैप्सूल जैसा होता है जिसका वजन 2 ग्राम होता हैए जबकि परम्परागत पेसमेकर का वजन 25 ग्राम होता है। इस डिवाइस को यूएस फूड एंड ड्रग एड्मिनिस्ट्रेशन ;एफडीएद्ध से वर्ष 2017 में अप्रूवल मिल चुका है और यह लीडलेस हैए जिसमेँ किसी भी तरह के कार्डिएक वायर ;लीडद्ध की जरूरत अथवा इसे काम करने के लिए त्वचा के नीचे सर्जिकल पॉकेट की जरूरत नही होती है। यह डिवाइस परम्परागत पेसमेकर का एक सुरक्षित विकल्प है जिसने लीड की वजह से आने वाली दिक्कतोँ से निजात दिलाई है और यह दिल को सामान्य गति से धडकना सुनिश्चित करने के लिए लो.एनर्जी इलेक्ट्रिक पल्स का इस्तेमाल करता है।

पारस हॉस्पिटल देश के उन चुनिंदा अग्रणी अस्पतालोँ में शामिल है जहाँ न्युरोसाइंसेजए कार्डियोलॉजीए ऑर्थोपेडिक्सए नेफ्रोलॉजीए गैस्ट्रोष्इंटेरोलॉजी और क्रिटिकल केयर के लिए बेहतरीन सुविधाएँ और देखभाल उपलब्ध है।