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Press Coverage

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Mar 2, 2024

पारस हॉस्पिटल ने एक ही समय पर आयोजित की जटिल लिवर सर्जरी व रीकंसट्रक्शन

  • हिलर कोलैजिओकार्सिनोमा लिवर के पित्तीय धमनी का एक अनोखा ट्युमर है।
  • जांच में मुख्यतः इसलिए देरी होती है क्योंकि लक्षण जो कि आमतौर पर पीलिया होता है, जल्दी सामने नहीं आते हैं

गुडगांव, 23.11.2018: पारस हॉस्पिटल, गुडगांव के डॉक्टरोँ की एक टीम ने एक जटिल सर्जिकल प्रक्रिया को अंजाम दिया जिसमेँ एक ही समय पर मरीज का लिवर रिसेक्शन और रीकंसट्रक्शन किया गया, जिन्हेँ हिलर कोलैंजियोकार्सिनोमा हुआ था। यह एक ऐसा अनोखा ट्युमर है जो लिवर के पित्तीय धमनी को प्रभावित करता है।

पलवल जिले के रहने वाले बलबीर सिंह नाम के 48 वर्षीय यह मरीज बेहद गरीब परिवार से हैं। वह एक स्कूल टीचर हैं जो शाकाहारी, टीटॉटलर और नॉन-स्मोकर हैं। वह पेट में दर्द, असहजता, वजन में कमी, एनोरेक्सिया, त्वचा में खुजली, आंखोँ में पीलापन, बदहवाशी आदि लक्षणोँ के साथ पहले पलवल के एक लोकल हॉस्पिटल में और फिर फरीदाबाद के अन्य हॉस्पिटल में गए जहाँ उनका पीलिया का इलाज किया गया।

लेकिन हालत में सुधार नहीं होने की स्थिति में उन्हेँ गुडगांव स्थित पारस हॉस्पिटल में रेफर किया गया, यहाँ उन्हेँ सर्जिकल अंकॉलजी के एसोसिएट डायरेक्टर व प्रमुख डॉ. विनय सैम्युअल गायकवाड ने देखा। उन्हेँ कुछ जांच कराने की सलाह दी गई जिसमेँ पीईटी सीटी, लिवर एमआरआई, ब्लड टेस्ट विद हाई लेवल ट्युमर मार्कर आदि शामिल था। इन सभी जांच परिणामोँ से यह स्पष्ट सम्भावना नजर आई कि मरीज को बेहद अनोखा ट्युमर हिलर कोलैंजियोकार्सिनोमा है। इसका वास्तविक प्रसार कितना है, इस बात की जानकारी नहीं है लेकिन इसकी हिस्सेदारी घातक कैंसर के 2% से भी कम मामलोँ में रहती है। मरीज और उनके परिवार को ट्युमर और उसकी सर्जरी के परिणामोँ के बारे में जानकारी दी गई। इसके बाद परिवार ने सर्जरी कराने का फैसला लिया।

इस सर्जरी में 4-5 घंटे का समय लगा जिसमेँ काफी जटिलताएँ शामिल थीँ क्योंकि यह एक साथ दो सर्जरी को अंजाम देने जैसा मामला था-क्योंकि एक तरफ मरीज का आधे से भी अधिक लिवर जो ट्युमर से प्रभावित हुआ था, उसे हटाने की जरूरत थी और साथ ही बचे हुए हिस्से को इस तरह से सुरक्षित करना था जिससे शरीर की सामान्य क्रियाएँ चलती रहेँ। दूसरी तरफ, पित्त के सही संचार को बनाए रखने के लिए पूरे पित्तीय सिस्टम को पुनरनिर्मित करने की जरूरत थी।

पारस हॉस्पिटल गुडगांव के सर्जिकल ऑन्कॉलजी विभाग के एसोसिएट डायरेक्टर एवम प्रमुख  डॉ. विनय सैम्युअल गायकवाड ने कहा कि, “इस सर्जरी की सफलता से यह साबित हो गया है कि अगर हम इस प्रकार के कैंसर का पता सही समय पर लगा लेँ तो इसके इलाज की सम्भावना रहती है। जल्द जांच हो जाने से मरीज को कीमोथेरेपी की भी जरूरत नही पडी। हम लिवर की इस अनोखी समस्या को पहचानने और इसका इलाज कर पाने में इसलिए सफल हो सके क्योंकि हमारी टीम गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल और हेपैटोपैंक्रिएटोबाइलियरी ऑन्कॉलजी में दक्ष है और जरूरतमंद मरीजोँ को सही समय पर उपयुक्त इलाज और देखभाल उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है।”

हिलर कोलैंजियोकर्सिनोमा एक अनोखे प्रकार का ट्युमर है जो लिवर के पित्तीय धमनी को प्रभावित करता है। आमतौर पर इस बीमारी की जांच में देरी हो जाती है और बेहद कम मामलोँ में ही ट्युमर के शरीर के बाकी हिस्सोँ में फैलने से पहले पहचान में आ पाती है। इसकी पहचान में देरी आमतौर पर इसलिए होती है क्योंकि इसके लक्षण देर से सामने आते हैं, आमतौर पर इसमेँ पीलिया के लक्षण दिखाई देते हैं। हिलर कोलैंजियोकार्सिनोमा के इलाज में सर्जरी, लिवर ट्रांसप्लांट और कीमोथेरेपी शामिल है।

पारस हॉस्पिटल गुडगांव देश के उन बेहतरीन अस्पतालोँ में से एक है जहाँ न्युरोसाइंसेज, कार्डियोलॉजी, ऑर्थोपेडिक्स नेफ्रोलॉजी, गैस्ट्रोइंटेरोलॉजी और क्रिटिकल केयर की सबसे अच्छी सुविधाएँ और सेवाएँ उपलब्ध हैं।


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