दिनेश ठाकुर अपने आप को खुश किस्मत मानते हैं की उनको तुरंत ही अपनी बोमरी के लिए उचित और सही उपचार मिल गया I दरभंगा के रहने वाले , 50 वर्षीय दिनेश अपने घर पर कुछ मरम्मत कर रहे थे, तभी उनका पैर एक कील पर आ गया I दिनेश जी के अनुसार ” काम करते समय मेरा पैर कील पर गिर गया और घाव ऐसा था की खील मेरे पैर में धस गया था I कई दिन तक मुझको चलने में दिक्कत हुई पर मुझे यह यकीन था की मेरा ज़ख़्म खुद ही ठीक हो जायेगा I”
दिनेश जी की लापरवाही से उनका पैर सूज चूका था और एक दिन किसी शादी से वापस आते समय उनका जबड़ा और उनकी गर्दन अकड़ गयी I दिनेश जी बताते हैं की “मुझे चोट लगे हुए २२ दिन हो चुके थे I चलने में तो दिक्कत थी ही पर जब एक दम से मेरी गर्दन और जड़बा अकड़ गया तो मैं और मेरा परिवार एक दम डर गया I मैं अपना मुँह भी नहीं खोल पा रहा था और ऐसा लग रहा था की मुझे पैरालिसिस का अटैक आया है I”
अपने पिता की स्तिथि देख कर दिनेश जी का बेटा उनको तुरंत ही डी ऍम सी एच् हॉस्पिटल ले गया I वहां उनको प्रारंभिक इलाज और दवा दी गयी पर पारस हॉस्पिटल में विशेष देखभाल की सलाह भी दी गयी I सभी लोगों की सलाह के बाद दिनेश जी को पारस हॉस्पिटल दरभंगा लाया गया I दिनेश जी को पारस में आपातकालीन विभाग में लाया गया I वहां इमरजेंसी केयर की पूरी टीम और न्यूरो केयर की पूरी टीम उनके लिए उपस्थित थी I दिनेश जी का इलाज दरभंगा के प्रसिद्ध डॉ मोहम्मद यासीन, न्यूरो रोग विशेषज्ञ के अंतर्गत किया गया I एमेर्जेंसी में एक्स रे, ब्लड टेस्ट और यूरिन टेस्ट करवाए गए और दिनेश जी को सही दवा भी दी गयी I
डॉ मोहम्मद यासीन, न्यूरो रोग विशेषज्ञ , पारस दरभंगा के अनुसार , “दिनेश की हालत काफी गंभीर थी I उनको जबड़ा एक दम अकड़ा हुआ था I स्तिथि इतनी ख़राब थी की हम उनको पानी भी नहीं पीला पा रहे थे I दिनेश को तुरंत ही हमने सेलाइन ड्रिप पर रखा और उनको ऑब्ज़र्वेशन में रखा गया I दो
सप्ताह के निरंतर प्रयास के बाद उनका मुँह थोड़ा सा खुला और उन्होने बात करनी शुरू की I यह केस सही समय पर सही इलाज मिलने का बहुत बड़ा उदाहरण है I”
डॉ मोहम्मद यासीन यह भी बताते हैं की , “ भारत से टीकाकरण के द्वारा टेटनस को ख़तम कर दिया गया है I परन्तु इसके बाद भी लग भाग 2 टेटनस के केस हर 1000 लोगों में सालाना पाएं जाते हैं I