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Press Coverage

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Apr 25, 2022

पारस के आकलन में बिहार में बढ़े गैस्ट्रो के मरीज

पारस के आकलन में बिहार में बढ़े गैस्ट्रो के मरीज
  • पारस एचएमआरआई हाॅस्पिटल के गैस्ट्रोइंटीरियोलाॅजी एवं सर्जिकल आॅन्कोलाॅजी विभाग के डायरेक्टर डाॅ. चिरंजीव खंडेलवाल ने कहा
  • स्वच्छ पानी की कमी, पानी में आर्सेनिक की मात्रा और कोल्ड ड्रिंक्स तथा तम्बाकू के सेवन से बढ़े हैं मरीज, अचार व नमक का सेवन भी कम करने की अपील
  • पारस में गैस्ट्रो के इलाज के लिए एक ही छत के नीचे सभी सुविधाएं, जाँच और इलाज के लिए तरह-तरह के इंडोस्कोपी भी उपलब्ध

पटना, 15 जुलाई 2017 । बिहार में गैस्ट्रो के मरीज बढ़े हैं। इसके मुख्य कारण के रूप में स्वच्छ जल की कमी, पानी में आर्सेनिक का रहना, खाना-पान की गड़बड़ी, तम्बाकू का इस्तेमाल तथा कोल्ड ड्रिंक्स का सेवन माना गया है। खाने के बाद कोल्ड ड्रिंक्स के सेवन से भोजन के पचने में दिक्कत होती है तथा शरीर में चर्बी जमा हो जाती है और मोटापा बढ़ता है। कोल्ड ड्रिंक्स का इस्तेमाल शरीर के लिए कहीं से भी फायदेमंद नहीं है। इसमें एक विषैला पदार्थ होता है तो शरीर के लिए हानिकारक है। ये बातें पारस एचएमआरआई सुपर स्पेषिलिटी हाॅस्पिटल के गैस्ट्रोइंटीरियोलाॅजी एवं सर्जिकल आॅन्कोलाॅजी विभाग के डायरेक्टर डाॅ. चिरंजीव खंडेलवाल ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहीं। उन्होंने आम लोगों के बीच फैली भ्रांतियां कि कोल्ड ड्रिंक्स पीने से खाना जल्दी हजम होता है को नकारते हुए कहा कि इसका कम से कम सेवन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह तो अच्छा हुआ कि बिहार सरकार ने शराब का सेवन बंद कर दिया। गुटखा का सेवन करने से लोगों को परहेज करने की हिदायत देते हुए कहा कि यह कई बीमारियों का कारण है।

पारस हास्पिटल का आकलन- बिहार में गैस्ट्रो के मरीज बढ़े

डाॅ. खंडेलवाल ने कहा कि गर्मी में पेट खराबी अधिक होती है, बारिष के मौसम में अषुद्ध पानी से पीलिया तथा दस्त की बीमारी अधिक होती है। गर्मी और बारिष के मौसम में लोगों को खान-पान पर अधिक ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि नमक का ज्यादा प्रयोग पेट ;आमाषयद्ध के नुकषानकारी है।

उन्होंने कहा कि पारस एचएमआरआई में अन्य हाॅस्पिटलों की अपेक्षा एक ही छत के नीचे सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं। यहां उच्च कोटि का इलाज विषेषज्ञों द्वारा किया जाता है।

लैप्रोस्कोपी और ओपन सर्जरी दोनों विधाओं में माहिर डाॅ. (प्रोफेसर) खंडेलवाल ने पित्त की थैली और पित्त की नली के कैंसर का कई आॅपरेषन कर चुके हैं। पेट के कैंसर, आंत के कैंसर का भी वह अनेकों आॅपरेषन कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि गाॅल ब्लाडर कैंसर के मरीज बिहार में बहुत ज्यादा है और इसका आपरेषन सब शल्य चिकित्सक नहीं कर सकते हैं।होप्रोस्कोपीक विधि से पित्र की थैली (गाॅलब्लाडर) निकालने के पहले यह सुनिष्चित कर लेना चाहिए कि उसमें कैंसर की शुरूआत तो नहीं हो चूकी है। यदि है तो पेट खोलकर बड़ी शल्य चिकित्सा होनी चाहिए। कैंसर के इलाज के बारे में उन्होंने कहा कि पारस में पेट सिटी एक ऐसी मषीन है जो कैंसर कितने दूर तक फैला है, बता देती है। कैंसर के इलाज में रेडिएषन के बारे में उन्होंने कहा कि यहां की लीनियर एक्सलेटर मषीन वहीं रेडिएषन देती है जहां कैंसर का कीड़ा होता है। यह मषीन रेडिएषन देने की सबसे आधुनिक मषीन है।


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