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Press Coverage

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Mar 2, 2024

एस.टी.एच. से बचाव के लिए बच्चों को खुले में शौच ना करने दे: पारस ग्लोबल हॉस्पिटल दरभंगा

हाॅस्पिटल परिसर में परिचर्चा आयोजित कर पारस ग्लोबल हाॅस्पिटल ने लोगों को किया जागरूकगैस्ट्रो विशेषज्ञ डाॅ. शरद कुमार झा ने एस.टी.एच. के खतरों से लोगों को किया आगाह, कहा-स्वच्छता ही एकमात्र उपाय |

दरभंगा, 8 फरवरी 2019: नेशनल डीवॅर्मिंग डे (10 फरवरी) के उपलक्ष्य में पारस ग्लोबल हाॅस्पिटल दरभंगा में पेट की बिमारियों से पीड़ित मरीजों का मुफ्त में इलाज किया गया तथा एक परिचर्चा आयोजित की गई। परिचर्चा में हाॅस्पिटल के गैस्ट्रो (पेट रोग की बीमारी) के विशेषज्ञ डाॅ. शरद कुमार ने कहा कि नवजात शिशुओं और स्कूली बच्चों को परजीवी कृमि संक्रमण से बचाने तथा परिजनों में इस बीमारी के खिलाफ जागरूकता जगाने के लिए 2015 में पहली दफा केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने नेशनल डीवॅर्मिंग डे की शुरूआत की। उन्होंने कहा कि यह संक्रमण (इंफेक्शन) मुख्य रूप से सोआयल ट्रांसमिटेड हेलमिन्थस (एस.टी.एच.) यानि पेट के परजीवी से होता है। यह परजीवी पेट में पाये जाते है। यह खुले में शौंच में संक्रमित हुई मिट्टी को छूने आदि से बच्चों की आंतों में पहुंचकर अंडे देते हैं और बच्चों के पोषण का उपयोग अपने विकास में करते है। इससे बच्चों के कुपोषण, एनीमिया, मानसिक रोग और कुष्ठ रोग जैसी बिमारियां हो सकती है। उन्होंने कहा कि इन लक्षणों पर हमेशा बच्चों के माता-पिता को ध्यान देना चाहिए। इस संक्रमण से बचाव के लिए बच्चों को खुले में शौंच नही करने देना चाहिए, यदि मांसाहारी है तो खाने से पहले मांस को पूरी तरह पका ले, शौचालय से आने के बाद तथा खाने से पहले बच्चों का हाथ साबुन से अच्छी तरह धुलवाये, अपने आस-पास के स्थानों को स्वच्छ रखें, बिना चप्पल के बच्चों को शौचालय ना जाने दें, खाने-पीने के चीजों को खुले में ना छोड़े, हमेशा स्वच्छ पानी का सेवन करें। इस मौके पर डाॅ. ए के गुप्ता ने कहा कि विश्व में सबसे ज्यादा एस.टी.एच. भारत में है जिसके कारण देश के 1 से 14 वर्ष तक 220 मिलियन बच्चोें को स्वास्थ्य का खतरा है। बिहार के भी बहुत सारे बच्चे इससे पीड़ित है। इसके लिए बिहार सरकार सहायता प्राप्त स्कूलों में बच्चों को डिवॅर्मिंग की गोलियां वितरित करती है। 1 से 2 साल तक के बच्चों को आधी खुराक दी जाती है जबकि 2 से 19 वर्ष तक के बच्चों को पूरी खुराक दी जाती है। ये गोलिया चबाकर खाई जाती है। इस बार बिहार सरकार का स्वास्थ्य विभाग 2 करोड़ से अधिक बच्चों में यह गोलियां वितरित करेगा। उन्होंने कहा कि इस संक्रमण से बचाव के लिए बच्चों का नाखुन बढ़ने से पहले हीं काटना चाहिए तथा स्वच्छता का ध्यान रखते हुए बच्चों को शौचालय में जाने के लिए प्रेरित करना चाहिए। इस मौके पर हाॅस्पिटल की आहार विशेषज्ञ अंकिता झा ने स्वस्थ और स्वच्छ खान-पान के बारे में विस्तृत जानकारी लोगों को दी। सैकड़ों लोगों ने परिचर्चा का लाभ उठाया।


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