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Press Coverage

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Apr 25, 2022

पारस हॉस्पिटल ने बचाई ईराकी महिला की जान खोपड़ी से दुर्लभ ट्यूमर निकाला

पारस हॉस्पिटल ने बचाई ईराकी महिला की जान खोपड़ी से दुर्लभ ट्यूमर निकाला
  • गुरग्राम के पारस अस्पताल में ईराकी महिला को रेफर किया गया था जिसकी खोपड़ी और कनपटी के बीच एक दुर्लभ ट्यूमर (ग्लोमस जुगुलर) हो गया था. इसका पता तब चला जब उसे सुनने में परेशानी और कान में घंटी बजने की शिकायत हुई.
  • दुनिया भर में होने वाली सबसे कठिन सर्जरी में से एक यह ऑपरेशन आठ घंटों तक चला, जिसे पारस हॉस्पिटल के डॉ. साहू की टीम ने सफलतापूर्वक हटा दिया.
  • ग्लोमस जुगुलर ट्यूमर सिर और गले में होने वाला एक दुर्लभ ट्यूमर है जो 1000000 में से 1 लोगों में से एक व्यक्ति को होता है. पुरुषों की तुलना में महिलाएं इससे चार गुना ज्यादा प्रभावित होती हैं.

गुरग्राम, 10 नवंबर 2017: जब एक ईराकी महिला को कान में घंटी की आवाज सुनाई देने के बाद श्रवण शक्ति खोने का अंदाजा हुआ तो वो परेशान हो गई. लेकिन इसके बाद जब जांच में सामने आया कि उनकी कनपटी (गर्दन और खोपड़ी जोड़ने वाली हड्डी) में ग्लोमस जुगुलर नाम का एक दुर्लभ ट्यूमर है, तो उसे गहरा सदमा लगा. जब ईराक में उसकी मेडिकल प्रोफाइल तैयार हो गई तो वो इलाज के लिए भारत आ गईं और उन्हें गुरग्राम के पारस हॉस्पिटल में डॉ. राधामाधब साहू और उनकी टीम के पास रेफर किया गया.

गुरग्राम स्थित पारस हॉस्पिटल के डॉ. राधामाधब साहू कहते हैं, “हमारी टीम द्वारा बीमारी की पुष्टि के बाद ट्यूमर का गहनता से निरीक्षण-मूल्याकंन किया जाना था. इस ट्यूमर के आसपास शरीर की सबसे महत्वपूर्ण संरचनाएं होती हैं. हमें विशेषरूप से सावधानी बरतनी थी क्योंकि ट्यूमर ऐसी जगह था, कि वहां तक पहुंचना मुश्किल था. मरीज की खोपड़ी के नीचे कनपटी की हड्डी में ट्यूमर अपनी जड़े काफी गहराई में फैला चुका था. यह सर्जरी बहुत कठिन और चुनौती भरी होती है क्योंकि इसमें शरीर की सेंसिटिव कनेक्टिविटी होती है जिस पर ध्यान देना बहुत जरूरी होता है और इसलिए ही पूरी दुनिया के कुछ ही देशों में यह सर्जरी होती है. अगर समय रहते इसको निकाल कर इलाज नहीं किया जाता, तो भविष्य में इसके गंभीर नतीजे सामने आ सकते हैं.”

Rare Tumor Removal Surgery from Scalp Performed at Paras Hospitals Gurgaon

व्यापक रूप से ऐसे ट्यूमर आनुवांशिक होते हैं और पुरुषों की तुलना में महिलाओं को चार से छह गुणा ज्यादा प्रभावित करते हैं. पैरागैंगलिओमा ट्यूमर चेहरे की मांसपेशियों में कमजोरी, सिरदर्द या जीभ की गड़बड़ी का कारण बन सकता है. आमतौर पर इमेजिंग, सीटी स्कैन या फिर एमआरआई के जरिये ट्यूमर का पता लगाया जाता है. एक छोटे पैरागैंगलिओमा ट्यूमर को सर्जरी द्वारा हटाया जा सकता है और इसके सही होने की रफ्तार भी तेज होती है. लेकिन अगर ट्यूमर, नसों या रक्त वाहिकाओं से जुड़ जाता है तो इसे हटाना बहुत मुश्किल हो जाता है.

ईराकी महिला के मामले में ट्यूमर गले के छेद (जुगुलर फोसा) और गले की आंतरिक नाड़ी से जुड़ा था, यह नाड़ी (मन्या धमनी या कैरोटिड आर्टरी) मस्तिष्क तक रक्त की आपूर्ति करती है. ऐसे में यह मामला ऑपरेशन करने में वाकई काफी चुनौतीपूर्ण था.

इस ट्यूमर के बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए डॉ. साहू कहते हैं, “यह ट्यूमर कनपटी की अस्थायी हड्डी का दूसरा सबसे आम और खोपड़ी के निचले हिस्से व कनपटी को प्रभावित करने वाला सबसे सामान्य ट्यूमर था. हालांकि दुर्लभ होते हुए भी इस तरह के ट्यूमर को स्कल बेस सर्जन द्वारा ऑपरेट किया जाता है. कान से सुनाई न देने या फिर कान में हर वक्त घंटी बजने की आवाज (टिन्नीटस) होने पर सामान्यता इन्हें शुरुआती चरण में ही पहचान लिया जाता है.”

पारस हॉस्पिटल में डॉ. साहू की टीम ने आठ घंटे तक बहुत ध्यान से सामान्य निष्चेतक देकर इस ट्यूमर को निकाला. इसके लिए उन्होंने नवीनतम तकनीक और एंडोस्कोपिक विजन की अत्याधुनिक स्कल बेस सर्जरी का इस्तेमाल किया. मरीज को तीन दिन के लिए भर्ती किया गया और ऑपरेशन के बाद की गई जांच में पता चला कि उसे कोई बड़ी परेशानी नहीं हो रही है.

Tumor Removal Surgery Performed at Paras Hospitals Gurgaon

बिना किसी बड़ी चिंता के मरीज को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई. मरीज को खुशी से डिस्चार्ज किया गया और इस दौरान वह बिल्कुल स्वस्थ थीं और उसमें कोई चिकित्सीय बीमारी नहीं थी.

मेडिकल टीम द्वारा दिए गए त्वरित और ध्यान केंद्रिय प्रयास के चलते यह सर्जरी सफल हो सकी और मरीज व उसके परिजन वापस अपने घर जाने को लेकर उत्साहित हैं. यह मामला बीमारी का सही पता लगाने और उचित वक्त पर उसका इलाज करने की भूमिका पर प्रकाश डालता है, जिसे पारस हॉस्पिटल जैसे अस्पताल द्वारा सक्रिय रूप से किया गया. मरीज के परिजन बहुत आभारी थे क्योंकि उन्होंने इस दुर्लभ ट्यूमर से बचने की सभी उम्मीदें खो दी थीं. इसलिए बीमारी का पता लगाने से स्वस्थ्य परिवार बीमारी के ऊपर विजय पा लेता है.


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