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Press Coverage

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Mar 2, 2024

देश- उच्च विदेश में फैली पारस हॉस्पिटल के हड्डी रोग विभाग की ख्याति

  • स्विट्जरलैंड की ‘एसोसिएशन ऑफ सर्जन्स फॉर इंटरनल फिक्सेशन ऑफ फ्रैक्चर’ संस्था ने पारस को दी ए.ओ.फ़ेलोशिप की मान्यता
  • दिल्ली, लखनऊ के कई नामी हॉस्पिटलों में ऑपरेशन के बाद भी नहीं चल-ंफिर पा रहे दो अपाहिजों को हॉस्पिटल के डॉ. जॉन मुखोपाध्याय ने चलने तो क्या दौड़ने के लायक बनाया |

पटना, 25 अप्रैल 2019 : पारस एचएमआरआई सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल, राजा बाजार, पटना के हड्डी रोग विभाग की ख्याति देश के अलावा विदेशो में भी फैल रही है, तभी तो उसे ए.ओ.फ़ेलोशिप का कोर्स कराने की मान्यता एसोसिएशन ऑफ सर्जन्स फॉर इंटरनल फिक्सेशन ऑफ फ्रैक्चर  ने दी है। पारस हॉस्पिटल अब उत्तर भारत का पहला हॉस्पिटल बन गया है जहां से ए.ओ.फ़ेलोशिप की ट्रेनिंग देश और विदेशो के डॉक्टर ले सकेंगे। ए. ओ. फ़ेलोशिप का मतलब होता है एसोसिएशन ऑफ ऑर्थोपेडिक फ़ेलोशिप, इसके साथ ही पारस एचएमआरआई हॉस्पिटल एम्स, नयी दिल्ली तथा गंगा राम हॉस्पिटल, कोयम्बटूर के साथ  देश के अन्य और चार हॉस्पिटलों में शुमार हो गया है।

जहां तक देश की बात है तो मेदांता, नयी दिल्ली तथा अन्य हॉस्पिटलों से इलाज कराकर निराश लौटे दो अपाहिज लोगों को पारस के हड्डी रोग विभाग के डायरेक्टर डॉ. जॉन मुखोपाध्याय ने ऑपरेशन कर चलने तो क्या फर्राटा दौड़ने की अवस्था में ला दिया है। जहां तक एसोसिएशन ऑफ सर्जन्स फॉर इंटरनल फिक्सेशन ऑफ फ्रैक्चरर की बात है तो इस संस्था की शुरुआत स्विट्जरलैंड में 1958 में की गयी। यह ट्रॉमा और फ्रैक्चर के विशेषज्ञ डॉक्टरों का एसोसिएशन है। यह संस्था ट्रॉमा और फ्रैक्चर की ए.ओ. फ़ेलोशिप देती है। इसकी मान्यता के लिए हॉस्पिटलों को उसके द्वारा तय किये मानदंडों पर खरा उतरना होता है। पारस उसके सभी मानदंडों पर खरा उतरा है, इसलिए उसे इस कोर्स की मान्यता दी गयी हैै।

गोपालगंज के 46 वर्षीया जय प्रकाश वर्मा का घुटना कार दुर्घटना में टूट गया था। उसे पहले गोरखपुर के अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां दो बार के ऑपरेशन के बाद भी वह चल-ंफिर नहीं पा रहा था। इसके बाद वह नयी दिल्ली के मेदांता हॉस्पिटल में गया जहां उसका ऑपरेशन किया गया, लेकिन बात नहीं बनी और वह चल-ंफिर पाने मे असमर्थ रहा। फिर उसने पारस एचएमआरआई हॉस्पिटल आकर डॉ. जॉन मुखोपाध्याय से ऑपरेशन करवाया और अब वह  चल फिर पा रहा है। एक दूसरा मरीज रियाज अहमद जो सीवान का रहने वाला है, सड़क दुर्घटना में उसका एक पैर टूट गया था। उसे पटना, लखनऊ, दिल्ली के हॉस्पिटलों में भर्ती कराया गया जहां उसका ऑपरेशन भी किया गया, पर वह चल-ंफिर पाने में असमर्थ था।जब पारस एचएमआरआई में डॉ. मुखोपाध्याय ने ऑपरेशन किया, उसके बाद से धीरे-ंधीरे चलना-ंफिरना शुरू किया।

आज की तारीख में वह एक सामान्य व्यक्ति की तरह चल रहा है। चूंकि पारस में हड्डी के इलाज के लिए एक से एक विशेषज्ञ डॉक्टर पदस्थापित है और विश्वस्तरीय अत्याधुनिक मशीने, उपकरण और सुविधाएं उपलब्ध हैं जिसकी बदौलत यहां हड्डी रोग का मरीजबिल्कुल ठीक होकर हॉस्पिटल से निकलता है।