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Mar 2, 2024

पारस एचएमआरआई में खुला इंस्टीच्यूट आॅफ हिमैटोलाॅजी, हिमैटो आॅन्कोलाॅजी व बोन मैरो ट्रांसप्लांट

पारस एचएमआरआई में खुला इंस्टीच्यूट आॅफ हिमैटोलाॅजी, हिमैटो आॅन्कोलाॅजी व बोन मैरो ट्रांसप्लांट
  • मुख्य अतिथि आद्री के सचिव डाॅ. शैबाल गुप्ता ने किया उद्घाटन
  • बिहार-झारखंड के खून से ग्रसित मरीजों को अब इलाज के लिए नहीं जाना पड़ेगा बाहर
  • बिहार के 50 प्रतिषत लोगों में खून की कमी पायी जाती है: डाॅ. अविनाष कुमार सिंह

पटना, 07 अक्टुबर 2017 । बिहार-झारखंड में पहली बार पारस एचएमआरआई सुपर स्पेषिलिटी हाॅस्पिटल, राजाबाजार, पटना में शनिवार 7 अक्टुबर को इंस्टीच्यूट आॅफ हिमैटोलाॅजी, हिमैटो आॅन्कोलाॅजी और स्टेम सेल ट्रांसप्लांट का उद्घाटन मुख्य अतिथि तथा आद्री के सचिव डाॅ. शैबाल गुप्ता ने किया। इस इंस्टीच्यूट के गठन के बाद अब बिहार-झारखंड के मरीजों को पटना में खून से संबंधित बीमारियों का इलाज मिल जायेगा।

इंस्टीच्यूट हिमैटोलॉजी, हिमैटो ऑन्कोलॉजी और स्टेम सेल ट्रांसप्लांट का उद्घाटन 

इस मौके पर आयोजित प्रेस काफ्रेंस में हिमैटोलाॅजी विभाग के अध्यक्ष डाॅ. अविनाष कुमार सिंह ने कहा कि बिहार के 50 प्रतिषत लोगों में खून की कमी पायी जाती है। इस बात का खुलासा विष्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लु.एच.ओ.) ने अपने सर्वेक्षण के बाद किया है। हर साल 15 से 20 हजार खून के कैंसर के रोगी और खून से होने वाली गंभीर बीमारी से ग्रसित मरीज बिहार में पाये जाते हैं। बिहार ओर झारखंड में अलग हिमैटोलाॅजी विभाग की व्यवस्था नहीं रहने के कारण यहां के मरीजों को 1000 किलोमिटर दुर जाकर दिल्ली, मुम्बई और बेंैगलोर में इलाज कराना पड़ता था जिसमें पैसे, समय और मानव संसाधन का दोहन होता था। बिहार में इंस्टिीच्यूट आॅफ हिमैटोलाॅजी के खुल जाने से अब बिहार-झारखंड के मरीजों का इलाज अब बिहार में ही अत्याधुनिक हिमैटोलाॅजी का इलाज मिल जायेगा। उन्होंने कहा कि हर साल करीब 500 से एक हजार मरीज बिहार-झारखंड में ऐसे मिलते हैं जिन्हें बोन मैरो ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है। पारस में हिमैटोलाॅजी इंस्टीच्यूट खुल जाने से इन मरीजों को अब बीएमटी के लिए कहीं और जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। एम्स से प्रषिक्षित डाॅ. सिंह ने बताया कि पारस में बीएमटी (बोन मैरो ट्रांसप्लांट) के लिए अलग व्यवस्था है तथा यहां आधुनिक प्रयोषाला है जहां बीमारियों का पता लगाकर उसका इलाज किया जाता है। यहां अत्याधुनिक ब्लड बैंक की व्यवस्था है जहां ब्लड के विभिन्न तत्व उपलब्ध है जैसे पीआरबीसी, एसबीपी, आरडीपी एवं प्लाज्मा मिलता है। डाॅ. सिंह ने कहा कि कमजोरी लगने, चक्कर आने, ज्यादा दिनों तक बुखार लगने और वजन कम होने पर मरीज को डाॅक्टर से परामर्ष कर इलाज करवाना चाहिए। इस मौके पर हाॅस्पिटल के फैसीलिटी डायरेक्टर डाॅ. तलत हलीम ने कहा कि बिहार, झारखंड, ओडिषा तथा पूर्वी उत्तर प्रदेष में पहली बार पारस एचएमआरआई में इंस्टीच्यूट आॅफ हिमैटोलाॅजी, हिमैटो आॅन्कोलाॅजी और बोन मैरो ट्रांसप्लांट खुला है जो डाॅक्टरों की टीम से लैस है जहां खून की हर बीमारी का सम्पूर्ण इलाज संभव है। उन्होंने कहा कि संक्रमण मुक्त इलाज की मुकम्मल व्यवस्था यहां की गयी है।

पारस एचएमआरआई मे इंस्टीच्यूट हिमैटोलॉजी का उद्घाटन

इस मौके पर बिहार के जाने-माने सर्जन डाॅ. ए.ए. हई, पùश्री डाॅ. जे.के. सिंह, हड्डी रोग विभाग के डाॅ. जाॅन मुखोपाध्याय, डाॅ. अजय कुमार सिन्हा तथा यूरोलाॅजी आॅर नेफ्रोलाॅजी के डायरेक्टर डाॅ. अजय कुमार भी मौजूद थे।