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Mar 2, 2024

देश में यूरोलाॅजिकल सर्जन की काफी कमी

देश में यूरोलाॅजिकल सर्जन की काफी कमी
  • पारस एचएमआरआई सुपर स्पेशिलिटी हाॅस्पिटल के यूरोलाॅजीए नेफ्रोलाॅजी और ट्रांसप्लांटेशन विभाग के डायरेक्टर डाॅ. अजय कुमार ने कहा
  • देश में हैं सिर्फ 2500 यूरोलाॅजिकल सर्जन जबकि बिहार में 11 करोड़ लोगों के इलाज के लिए केवल 25 सर्जन
  • गरीबों और असहाय लोगों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने को कटिबद्ध डाॅ. कुमार बिहार के विभिन्न भागों में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मेला भी लगवा चुके हैं
  • विभिन्न मेडिकल एसोसिएषनों के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और कार्यकारिणी कमेटी के सदस्य भी रह चुके हैं

पटना, 09 अगस्त 2017 । देष में मात्र 2500 यूरोलाॅजिकल सर्जन हैं और बिहार में केवल 25 सर्जन। बिहार के 25 सर्जन में से अधिकतर पटना में ही रहते हैं। केवल 25 सर्जन से ही बिहार के 11 करोड़ लोगों का इलाज संभव नहीं है। ऐसे में अन्य सर्जन भी पेषाब संबंधी बीमारी का आॅपरेषन करते हैं, जिसकी गुणवत्ता वैसी नहीं होती जैसी एक यूरोलाॅजिकल सर्जन की शल्य चिकित्सा से होती है।

डॉ अजय कुमार – हास्पिटल परिसर में आयोजित प्रेस काँफ्रेंस में

ये बातंे पारस एचएमआरआई सुपर स्पेषलिटी हाॅस्पिटल के यूरोलाॅजी, नेफ्रोलाॅजी और ट्रांसप्लांटेंषन विभाग के डायरेक्टर डाॅ. अजय कुमार ने हाॅस्पिटल परिसर में आयोजित प्रेस काँफ्रेंस में कहीं। उन्होंने कहा कि पुरूषों के साथ महिलाओं में पेषाब की गड़बड़ी की समस्या काफी परेषान करती है। उन्होंने कहा कि सर्जन पेषाब की नली के रास्ते मूत्र प्रणाली में पथरी, कैसर तथा पेषाब की थैली में बीमारी का इलाज का इलाज करते हैं। उन्होंने कहा कि अगर लोग सही मात्रा में पानी पीयें तो बहुत सारी पेषाब की समस्याएं स्वतः दूर हो जायेंगी।
डाॅ. कुमार ने 1978-79 में एफआरसीएस की डिग्री ली तथा 1983 तक इंग्लैड में प्रैक्टिस करते रहे। 1984 में वे भारत आ गये तथा पटना में पाम व्यू हाॅस्पिटल की स्थापना की। पटना के जाने-माने पेषाब रोग विषेषज्ञ डाॅ. अजय कुमार ने प्रिस आॅफ वेल्स मेडिकल काॅलेज (अब पटना मेडिकल काॅलेज) से एमबीबीएस की डिग्री ली। वे गरीब और असहाय लोगों को भी विष्व स्तरीय चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराने को कटिबद्ध हैं। बेटी बचाओ, देष बचाओ,एनीमिया फ्री चिलड्रेन आदि मुद्दों पर वे लोगों में जागरूकता कार्यक्रम चला चुके हैं।

वे 2008-2009 तक यूरोलाॅजिकल सोसाइटी आॅफ इंडिया के अध्यक्ष रह चुके हैं। 2007-2008 में वे इंडियन मेडिकल एसोसिएषन के अध्यक्ष थे। 2007 से 2010 तक वे काॅमन वेल्थ मेडिकल एसोसिएषन के उपाध्यक्ष रह चुके हैं तथा 2001-2005 तक मेडिकल काउंसिल आॅफ इंडिया की कार्यकारिणी कमेटी के सदस्य रह चुके हैं। 2001-2004 तक वे नेषनल बोर्ड आॅफ एग्जामिनेषन (एनबीई) में स्पेषलिटी एडवाइजरी बोर्ड (यूरोलाॅजी) के सदस्य रहे। 1998-2006 तक वे इंदिरा गाँधी इंस्टीट्यूट आॅफ मेडिकल साइंसेज, पटना के बोर्ड आॅफ गवर्नर्स के सदस्य रह चुके हैं। डाॅ. कुमार राज्य में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मेला विभिन्न स्थानों पर लगवाकर हजारों लोगों का इलाज करवा चुके हैं।