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Press Coverage

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Apr 25, 2022

पारस ने कैंसर ट्यूमर से ग्रसित बच्चे की मुफ्त में इलाज कर जान बचाई

पारस ने कैंसर ट्यूमर से ग्रसित बच्चे की मुफ्त में इलाज कर जान बचाई
  • हाॅस्पिटल के न्यूरो सर्जन डाॅ. मुकुंद प्रसाद ने आॅपरेषन कर निकाला ट्यूमर, कीमो और रेडिएषन भी दिया गया बच्चे को हाॅस्पिटल के न्यूरो सर्जन डाॅ. मुकुंद प्रसाद ने आॅपरेषन कर निकाला ट्यूमर, कीमो और रेडिएषन भी दिया गया बच्चे को
  • मेडुलोब्लास्टोमा नाम का ट्यूमर था उसके ब्रेन में, काफी सतर्कता बरतते हुए निकाला गया 4-5 सेंटीमीटर गोलार्द्ध का ट्यूमर

 

पटना, 08 नवम्बर 2017 पारस एचएमआरआई सुपर स्पेषिलिटी हाॅस्पिटल, राजाबाजार, पटना ने कैंसर ट्यूमर से ग्रसित 7-8 वर्ष के बच्चे की मुफ्त में इलाज कर जान बचायी। मां-बाप को गंवा चुका प्रवीण तीन-चार महीने से सिरदर्द और उल्टी से परेषान था, साथ ही कुछ भी खा नहीं पाता था। कई सरकारी और निजी अस्पतालों में दिखाने के बावजूद बीमारी के ठीक नहीं होने पर उसकी चाची और एक पड़ोसी उसे लेकर पारस अस्पताल आये जहां न्यूरो फिजिषियन ने जाँच के बाद न्यूरो सर्जन डाॅ. मुकुंद प्रसाद के पास रेफर कर दिया। जांच के बाद पता चला कि वह मेडुलोब्लास्टोमा कैंसर ट्यूमर से ग्रसित है जिसके आॅपरेषन और इलाज पर भारी रकम खर्च करनी होगी। कैंसर से ग्रसित बच्चे का मामला था, वह भी बेसहारा। इसलिए इस मामले को हाॅस्पिटल के शीर्ष प्रबंधन के पास ले जाया गया जहां से उसे मुफ्त में इलाज करने की हरी झंडी दी गयी।

शीर्ष प्रबंधन से अनुमति मिल जाने के बाद डाॅ. प्रसाद ने बच्चे का ब्रेन खोल कर आॅपरेषन किया। इसके बाद उसे कीमोथेरेपी एवं रेडिएषन दिया गया। इसके बाद से वह कैंसर से फ्री है। पूरी तरह से स्वस्थ है और कोई समस्या नहीं है। डाॅ. प्रसाद ने बताया ट्यूमर 4 से 5 सेंटीमीटर गोलार्द्ध का था। इस तरह के ट्यूमर के आॅपरेषन में काफी सतर्कता बरतनी पड़ती है क्योंकि जरा सी असावधानी होने पर वह सदा के लिए खाना नहीं खा पाता, साथ निमोनिया होने का डर रहता है तथा सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। लेकिन चूंकि पारस में सभी तरह के उपकरण और सुविधाएं मौजूद रहती हैं, इसलिए आॅपरेषन ठीक-ठाक रहा। उन्होंने कहा कि आॅपरेषन के 15वें दिन वह सब कुछ खाने लगा। अस्पताल से छुट्टी के बाद उसके पास दवा खरीदने के लिए पैसे नहीं थे, तो फिर इंतजाम कर दिया गया। उन्होंने कहा कि यह ट्यूमर बड़ा खराब होता है और इसके दोबारा होने की आषंका रहती है। यह ट्यूमरा मुख्यतः बच्चों में ही होता है। प्रवीण अब पूर्णतः ठीक है तथा दोबारा ट्यूमर होने की आषंका नहीं है।


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