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Press Coverage

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Apr 25, 2022

पारस अस्पताल दरभंगा ने की पहली बाल चिकित्सा (पेडियाट्रिक) स्पाइन सर्जरी - बचाई 7साल के बच्चे की जान लकवे से

पारस अस्पताल दरभंगा
  • पारस अस्पताल दरभंगा की वरिष्ठ सर्जन टीम ने की मिथिला की पहली बाल चिकित्सा / पेडिएट्रिक स्पाइन सर्जरी |
  • 7 साल के बच्चे को सही सर्जिकल उपचार दे कर बचाया उसको लकवे से |
  • एडवांस्ड सर्जरी की डॉ दिलशाद अनवर ने जो दरभंगा के जाने माने जोड़ रोग विशेषज्ञ और पारस ग्लोबल अस्पताल में ऑर्थोपेडिक सलाहकार |
  • इस सर्जरी में डॉ एजाज़ आलम, कंसलटेंट न्यूरोसर्जरी पारस ग्लोबल अस्पताल दरभंगा ने भी सहयोग दिया |

दरभंगा में रहने वाले 7 साल के कृष्ण कुमार को एक रोड एक्सीडेंट में पीठ में चोट लग गई थी जिसके कारण वह चल नहीं पा रहे थे और उनके शरीर का निचला हिस्सा एक दम कण्ट्रोल से बाहर हो गया था |  इस अवस्था को मेडिकल शब्दावली में पैराप्लेजिया भी कहा जाता है I कई परिजनों के सुझाव से उन्होने पारस अस्पताल दरभंगा में परामर्श लेने का निर्णय लिया |

डॉ दिलशाद अनवर, स्पाइन एवम जोड़ रोग विशेषज्ञ, पारस अस्पताल दरभंगा के अनुसार, “कृष्ण की हालत काफी ख़राब थी I उसके कमर से निचला हिस्सा एक दम पैरलाइज़्ड था | चल-फिर न पाने के साथ ही उसका उसके पिशाब और मल पर भी कोई कण्ट्रोल नहीं था | एक एम् आर आई के बाद यह स्पष्ट हो गया की कृष्ण का डी-12 रीढ़ की हड्डी में खराबी है | रिपोर्ट्स ने यह भी बताया के हड्डी टूटने के कारण उसकी नस भी दब गयी थी जिसके कारण उसके शरीर का निचला हिस्सा पैरलाइज़्ड हो गया था | उसकी पृष्ठीय रीढ़ में भी नरमी या कोई घाव सा दिख रहा था | हमने न्यूरोसर्जन के साथ मिलकर डी – 12 रीढ़ की हड्डी के फ्रैक्चर को ठीक करने का निर्णय लिया |”

कृष्ण की रीढ़ की हड्डी का ऑपरेशन लामिनेक्टॉमी नामक प्रक्रिया द्वारा किया किया गया | इस ऑपरेशन को डीकॉम्प्रेशन सर्जरी भी कहा जाता है | इस सर्जरी से पेशेंट का स्पाइनल कैनाल और बड़ा किया जाता है, जसके बाद स्पाइनल कॉर्ड या नसों पर गलत प्रेशर हटा कर उनको राहत दी जाती है | लामिनेक्टॉमी या डीकॉम्प्रेशन सर्जरी का प्रयोग तब किया जाता है जब सभी उपचार के तरीके अप्रभावी हो |”

इस प्रक्रिया का यह भी फायदा है की यह दूरबीन या की-होल द्वारा की जा सकती है , इसका मतलब है की उपचार के लिए पूरे पीठ को खोल कर सर्जरी नहीं करनी पड़ती और छोटे चीरों के द्वारा सारा उपचार कर दिया जाता है | इस प्रक्रिया से रोगी के खून की हानि कम होती है, हॉस्पिटल में कम दिन तक भर्ती रहना होता है, कम दवाइयों का सेवन करना पड़ता है और जल्द राहत भी मिलती है |

सर्जरी के 4 दिन बाद कृष्ण को चलाने की कोशिश शुरू कर दी गयी | विशेष रिहैबिलिटेशन टीम – फिजियोथेरेपी में माहिर ने कृष्ण को चलने की प्रैक्टिस करवानी शुरू कर दी | अस्पताल से कृष्ण 10 दिन बाद ही डिस्चार्ज हो गया और लगभग १ महीने तक फिजियोथेरेपी की टीम ने लगातार उसपर काम किया | आज 1 महीने के बाद, कृष्ण थोड़ा चलने लगा है |

कृष्ण के पिता के अनुसार,” पारस अस्पताल दरभंगा ने वाकई में एक करिश्मा कर दिखाया है I हमने यह मान लिया था की हमारा कृष्ण अब चल-फिर नहीं पायेगा, पर डॉ दिलशाद की असाधारण और विशेष सर्जरी ने हमें नयी आशा दी , और आज हमारा बच्चा चलने लगा है | हमारा पूरा परिवार पारस अस्पताल का तहे दिल से शुक्र-गुजार रहेगा |”

पारस अस्पताल दरभंगा स्पाइन सर्जरी,रीढ़ की हड्डी की सर्जरी, और ट्रामा सर्जरी के लिए मिथिला का सर्वोत्तम मल्टी सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल है |

 


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