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Mar 2, 2024

पारस हाॅस्पिटल में देढ़ साल के बच्चे व 24 साल की महिला मरीज के हृदयों का जटिल आॅपरेशन

पारस हाॅस्पिटल में देढ़ साल के बच्चे व 24 साल की महिला मरीज के हृदयों का जटिल आॅपरेशन

बच्चे का आॅपरेषन हाॅस्पिटल के डाॅ. अनुज तथा लड़की का आॅपरेषन  डाॅ. सुधीर ने किया |

दोनों टेट्रालाॅजी आॅफ फैलेट की बीमारी से ग्रसित थे जिससे खून में आॅक्सीजन की कमी हो गयी थी तथा उन्हें सांस लेने में तकलीफ थी |

पटना, 22 सितम्बर: पारस एचएमआरआई सुपर स्पेशिलिटी हाॅस्पिटल, राजाबाजार, पटना टेट्रालाॅजी आॅफ फैलेट नामक हृदय रोग की बीमारी से ग्रसित 18 महीने के बच्चे तथा 24 साल की लड़की का जटिल आॅपरेशन किया गया। आॅपरेशन के बाद दोनों की बीमारी ठीक हो गयी। टेट्रालाॅजी आॅफ फैलेट में मुख्यतः सांस लेने में अत्यधिक परेशानी होती है क्योंकि लंग्स की धमनी में आॅक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है।

18 महीने के बच्चे का आॅपरेशन करने वाले हाॅस्पिटल के डाॅ. अनुज ने बताया कि बच्चे के हृदय में चार प्रकार की गड़बड़ी थी जो कि जन्मजात थे। उसके हृदय में छेद था तथा लंग्स की धमनियों में रूकावट थी जिससे बच्चे को सांस लेने में तकलीफ, खाने-पीने में दिक्कत हो रही थी, इसके साथ ही वह चिड़चिड़ा भी हो गया था। उन्होंने बताया कि इन गड़बड़ियों के कारण हृदय की संरचना प्रभावित हो रही थी। इससे आॅक्सीजन की कमी वाला खून हृदय तथा शरीर के अन्य भागों में जा रहा था। ये सभी समस्याएं बच्चे के हृदय में चार प्रकार की गड़बड़ियों के कारण हो रही थी। देश के कई बड़े अस्पतालों में दिखाने के बाद भी बीमारी में कोई सुधार नहीं हो पाया तब वह पारस एचएमआरआई हाॅस्पिटल आया। डाॅ. अनुज ने बताया कि इसका आॅपरेशन करना हमारे लिए चुनौती थी, पर पारस में इलाज के लिए उपलब्ध सुविधाओं के कारण यह जटिल आॅपरेशन संभव हो पाया।

उन्होंने कहा कि शुरूआती चरण में बीमारी के पकड़ में आ जाने तथा उसका इलाज हो जाने से टेट्रालाॅजी आॅफ फैलेट से ग्रसित अधिकतर बच्चे तथा व्यस्क सामान्य जीवन व्यतीत करते हैं। लेकिन जीवन भर उसे डाॅक्टरों को दिखाते रहना होगा तथा व्यायाम करने की मनाही रहती है।

चूंकि बच्चा गरीब परिवार का था, इसलिए रोटरी पटना ने उसके आॅपरेशन में मदद की। डाॅ. अनुज ने कहा कि हाॅस्पिटल प्रबंधन तथा रोटरी पटना के संयुक्त प्रयास से आॅपरेशन की पैकेज दर को कम कर आॅपरेशन किया गया। बच्चा अब बिल्कुल स्वस्थ्य है, उसे तीन-चार दिन के बाद हाॅस्पिटल से छुट्टी दे दी जायेगी। कई हाॅस्पिटलों ने बच्चे का इलाज करने से इंकार कर दिया था, तो उसके माता-पिता निराश हो गये थे। परंतु आॅपरेशन के बाद बच्चे के ठीक हो जाने के बाद उन्होंने पारस एचएमआरआई हाॅस्पिटल को धन्यवाद दिया।

बच्चे के मामले की तरह 24 साल की लड़की का भी जटिल आॅपरेशन किया गया जो जन्मजात हृदय रोग से पीड़ित थी तथा उसे भी चार तरह की हृदय रोग की समस्याएं थीं तथा उसके हृदय में छेद था। उसका आॅपरेशन हाॅस्पिटल के हृदय रोग विशेषज्ञ डाॅ. सुधीर बी वी और उनकी टीम ने किया। लड़की टेट्रालाॅजी आॅफ फैलेट नामक बीमारी से ग्रसित थी। उसके लंग्स में अधिक खून नहीं जा रहा था जिसमें आॅक्सीजन की कमी हो गयी थी तथा कम आॅक्सीजन वाला खून (ब्लू) शरीर में बह रहा था। डाॅ. सुधीर बी वी ने कहा कि लड़की को सांस लेने में तकलीफ थी, हाथ-पैर फूल गये थे जिससे हार्ट फेल्योर की संभावना बढ़ गई थी। टेट्रालाॅजी आॅफ फैलेट की मरम्मत के लिए सम्पूर्ण इंफ्राकार्डियेक रिपेयर सर्जरी की गयी। लंग्स में खून के बहाव में सुधार के लिए तथा अधिक आॅक्सीजन और कम आॅक्सीजन वाले खून के सही जगहों पर बहाव के लिए आॅपरेशन किया गया। आॅपरेशन के बाद लड़की को आईसीयू में वेंटीलेटर पर रखा गया क्योंकि इस बीमारी में हृदय की दायीं तरफ के हृदय के फेल होने का अधिक खतरा रहता है। आॅपरेशन के बाद लड़की पूरी तरह फिट थी, इसलिए उसे हाॅस्पिटल से छुट्टी दे दी गयी।

इस जटिल आॅपरेशन में डाॅ. सुधीर बी वी को डाॅ. दिलीप कुमार, डाॅ. अतुल मोहन, डाॅ. राघवेन्द्र, डाॅ. उमा तथा डाॅ. चंदन ने सहयोग किया।

पारस एचएमआरआई हाॅस्पिटल के रिजनल डायरेक्टर डाॅ. तलत हलीम ने कहा कि हाॅस्पिटल में उपलब्ध सभी जरूरी उपकरणों तथा सक्षम डाॅक्टरों के रहने के कारण ये जटिल आॅपरेशन संभव हो पाये। पूर्वी क्षेत्र के कुछ हाॅस्पिटलों में एक पारस एचएमआरआई हाॅस्पिटल में ही इस तरह के जटिल हृदय रोग का आॅपरेशन किया जाता है।