Emergency ()

Press Coverage

Mar 2, 2024

पारस एचएमआरआई सुपर स्पेषलिटी हाॅस्पीटल में हुआ बिहार झारखंड का पहला और सफलतापूर्वक काॅम्पलेक्स थ्रीडी एबलेषन

पारस एचएमआरआई सुपर स्पेषलिटी हाॅस्पीटल में हुआ बिहार झारखंड का पहला और सफलतापूर्वक काॅम्पलेक्स थ्रीडी एबलेषन
  • हदय धड़कन के विषेषज्ञ विदेष में ट्रेंड डाक्टर नरेन्द्र कुमार ने किया सफलतापूर्ण थ्रीडी एबलेषन।

बिहार झारखंड में चिकित्सा के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाने वाले पारस एचएमआरआई सुपर स्पेषलिटी हाॅस्पीटल में अभी हाल हीं में दो मरीजों का बिहार झारखंड का पहला और सफलतापूर्वक काॅम्पलेक्स थ्रीडी एबलेषन किया गया। पारस हाॅस्पीटल के कार्डियोलाॅजी विभाग के डाक्टर नरेन्द्र कुमार ने सफलतापूर्वक काॅम्पलेक्स थ्रीडी एबलेषन किया। जिन दो मरीजों का एबलेषन हुआ उनमें से एक 10 साल का बच्चा है जिसका नाम सत्यम कुमार है। वहीं दूसरी मरीज 20 साल की चन्दा कुमारी है।

10 वर्ष के सत्यम को पिछले कुछ सालों से दिल के धड़कन की बीमारी थी। उसका हदय कभी तेज तो कभी काफी धीरे धड़कने लगता था। जिसके कारण वो काफी परेषान रहता था।यहाॅ तक कि वो आम बच्चों की तरह ज्यादा खेल-कुद भी नहीं पाता था। सत्यम के परिवार वाले उसकी इस तकलीफ को देखते हुए उसे दिल्ली ले गयें। जहाॅ दिल्ली के जाने-माने अस्पताल में उसे दिखाया गया। इलाज के दौरान पता चला की सत्यम को हदय के गड़बड़ी की बीमारी है जिसे सीसीटीजीए (कंजेनाईटली करेक्टेड ट्रांसपोजिषन आॅफ ग्रेट आर्टरिज) कहते हैं।वहाॅ उसे दवाॅईयाॅ दी गई पर उससे उसे कोई फायदा नहीं हुआ और उम्र बढ़ने के साथ-साथ उसकी तकलीफ बढ़ती चली गई। फिर सत्यम के परिवार वाले को कहीं से पटना के पारस हाॅस्पीटल में हदय धड़कन के विषेषज्ञ विदेष में ट्रेंड डाक्टर नरेन्द्र कुमार के बारे में पता चला। डाक्टर नरेन्द्र ने सत्यम की हालत को देखेते हुए दवाईयों में कुछ बदलाव करके एवं थ्रीडी एबलेषन के जरिये उसकी बीमारी को पूरी तरह ठीक कर दिया।

वहीं दुसरी मरीज 20 साल की चन्दा कुमारी जो नोहाट की रहने वाली है उनको हृदय धड़कन की बीमारी थी। उनकी हृदय धड़़कन की बीमारी की समस्या इतनी ज्यादा बढ़ गई थी की उनकी हृदय की कार्य क्षमता एकदम कम हो गई। चन्दा की इस हालत को देखकर परिवार वाले काफी परेषान हो गयें। उन्होने इलाज कें लिए पहले तो अपने आस-पास के डाक्टरों से सलाह ली पर चन्दा की हालत में कोई सुधार ना होते देख परिवार वालों ने दिल्ली जाकर विष्व के प्रमुख अस्पताल में चन्दा को दिखाने का निर्णय लिया। पर वहाॅ पर एडमीट होने के बावजूद भी वहाॅ के ईलाज से चन्दा को पूरी तरह राहत नहीं मिली। यहाॅ तक कि चन्दा की हालत और खराब होने लगी उसकी हृदय की कार्य क्षमता 60 प्रतिषत से घटकर 25 प्रतिषत पर आ गई। फिर उसके बाद चन्दा को लखनउ ले जाया गया पर वहाॅ भी उसकी बीमारी पूरी तरह ठीक नहीं हुई। चन्दा के परिवार वाले काफी मायुष हो गयें। फिर किसी ने उनको पारस एचएमआरआई अस्पताल में डक्टर नरेन्द्र कुमार से सलाह लेने के लिए बतलाया। चन्दा के परिवार वाले ने नीदरलैण्ड से आये कार्डियो इलेक्ट्रोफिजियोलाॅजी में ख्याती प्राप्त डाक्टर नरेन्द्र कुमार से मुलाकात पारस एचएमआरआई अस्पताल के ओपीडी में की। डाक्टर नरेन्द्र कुमार ने चन्दा के रिपोर्ट को अच्छी तरह से दखने के बाद यह निर्णय लिया कि यह एक गंभीर हृदय धड़कन की बीमारी का केस है, जिसका इलाज यहाॅ पूरी तरह संभव है।

चुकि दोनो मरीजों की आर्थिक हालत उतनी अच्छी नहीं थी जिसको देखते हुए पारस एचएमआरआई की टीम ने फंड इकट्ठा करवाया एवं कम से कम खर्चे में दोनो मरीजों को सफलतापूर्वक थ्रीडी एबलेषन किया। अब सत्यम और चन्दा पूरी तरह स्वस्थ्य हैं। उनकी हदय धड़कन की बीमारी पूरी तरह से ठीक हो गई है।
डाक्टर नरेन्द्र ये बतलाते है कि हृदय रोग में हृदय धड़कन हीं एक ऐसी बीमारी है जिसे सहीं ईलाज के जरिये जड़ से खत्म किया जा सकता है। अब ये दोनो मरीज पूरी तरह स्वस्थ्य हैं, दोनो अपने-अपने स्कूल और काॅलेज लगातार जा रहें है और उन्हें आम इंसान की तरह किसी भी तरह के काम करने में कोई दिक्कत महसूस नहीं हो रही है। दोनो आम इंसान की तरह जिदगी गुजार रहें हैं।