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Mar 2, 2024

वल्र्ड कैंसर डे पर पारस हाॅस्पिटल पटना में कैंसर मरीजों का मिलन समारोह

वल्र्ड कैंसर डे पर पारस हाॅस्पिटल पटना में कैंसर मरीजों का मिलन समारोह

वल्र्ड कैंसर डे पर पारस हाॅस्पिटल में कैंसर मरीजों का मिलन समारोह |

मरीजों में कैंसर के इलाज के लिए हाॅस्पि टल तथा डाॅक्टर्स के चयन में सावधानी बरतने की दी सलाह 30-35 मरीजों ने लिया मिलन समारोह में हिस्सा |

पारस कैंसर सेंटर में विश्वस्तरीय अत्याधुनिक सुविधाएं, मशीन व जांच एक ही छत के नीचे उपलब्ध, इलाज के लिए अपने-अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ डाॅक्टर हैं तैनात |

पटना, 4 फरवरी 2019: वल्र्ड कैंसर डे के मौके पर सोमवार 4 फरवरी को पारस एचएमआरआई सुपर स्पेशिलिटी हाॅस्पिटल, राजा बाजार, पटना में कैंसर मरीजों का मिलन समारोह आयोजित किया गया जिसमें तकरीबन 35 मरीजों ने हिस्सा लिया। मरीजों ने अपने इलाज तथा उसके बाद की जिन्दगी के बारे में विस्तृत जानकारी दी। मरीजों ने कहा कि एक बार कैंसर ठीक हो जाने पर मरीज अन्य लोगों की तरह आम जिंदगी जीता है। घर-परिवार का सभी काम बड़ी आसानी से कर सकता है। कैंसर ठीक हो जाने पर वह एक सामान्य व्यक्ति के रूप में आ जाता है। लेकिन एक बात जो उन्होंने जरूरी बतायी वह यह है कि कैंसर के मामले स्थापित हो जाने के बाद उसे जांच-परखकर इलाज के लिए हाॅस्पिटल और डाॅक्टर का चयन करना चाहिए। क्योंकि अत्याधुनिक सुविधाओं, मशीनों और विशेषज्ञ डाॅक्टर्स से लैस अस्पताल ही अच्छा इलाज दे सकता है। एक मरीज ने बताया कि यह तो मेरी किस्मत अच्छी थी कि मैं पारस एचएमआरआई हाॅस्पिटल के पारस कैंसर सेंटर में इलाज कराया जिसके फलस्वरूप आज मैं सामान्य जीवन जी रहा हूं, वरना मेरे इलाज का क्या हश्र होता कहा नहीं जा सकता। इसलिए अस्पताल या डाॅक्टर का चयन समझबुझ के साथ करना चाहिए।

भारत में अनेक प्रकार के कैंसर के मरीज हर साल बढ़ रहे हैं। इसी पर अंकुश लगाने के लिए कैंसर डे मनाया जाता है। कैंसर डे पर लोगों में जागरूकता फैलाने का काम किया जाता है। लोगों को बताया जाता है कि तम्बाकू का किसी भी रूप में सेवन न करें, यह कई प्रकार के कैंसर को जन्म देता है। इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि शरीर के किसी अंग में अगर गांठ दिखे तो तत्काल इस पर विशेषज्ञ डाॅक्टर से सलाह लें। हर गांठ कैंसर नहीं होता, पर इसकी जांच आवश्यक है। कहने का मतलब यह है कि आप अपने हर अंग को साफ-सुथरा भी रखें क्योंकि साफ-सफाई नहंीं होने पर महिलाओं में बच्चेदानी के मुंह का कैंसर होता है। इस तरह से महिला-पुरूष दोनों को समय पर अपने शरीर की जांच करानी चाहिए ताकि कैंसर होने कारणों का पता चल सके। लोगों में कैंसर के प्रति जागरूकता लाना ही कैंसर डे का महत्व है।

पारस कैंसर सेंटर में कैंसर डे के इलाज के लिए एक से बढ़कर एक विशेषज्ञ डाॅक्टर हैं जो मेडिसीन तथा सर्जरी द्वारा इसका इलाज करते है। पारस कैंसर सेंटर में एक छत के नीचे सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध है।

सर्जरी के लिए अपने-अपने फील्ड के विशेषज्ञ डाॅक्टर बहाल किये गये हैं। कीमोथेरेपी और रेडिएशन के लिए भी विशेषज्ञ डाॅक्टर के अलावा अत्याधुनिक मशीनें लगी है जो सटीक स्थानों पर ही रेडिएशन देते हैं। यहां एक सबसे आधुनिक विश्वस्तरीय मशीन लगी है जिसे पेट-सिटी कहते हैं जो बताती है कि शरीर में किस भाग में कैंसर है। यहां इलाज के अलावा बिहार सरकार से गरीबों के लिए अनुदान भी दिलाया जाता है जिससे कई गरीब लोग भी यहां आकर अपना इलाज करवाते हैं।

हाॅस्पिटल के रीजनल डायरेक्टर डाॅ. तलत हलीम ने बताया कि पारस कैंसर सेंटर में अत्याधुनिक तरीके से कैंसर मरीजों का इलाज किया जाता है। तम्बाकू खाने से कई तरह के कैंसर होते हैं, इसलिए लोगों को तम्बाकू का सेवन पूर्णरूप से छोड़ देना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे सेंटर में मरीजों के इलाज की सभी तरह की सुविधाएं, अत्याधुनिक मशीन और डाॅक्टर्स उपलब्ध है। मरीजों की देखभाल के लिए प्रशिक्षित नर्स तथा दक्ष तकनीशियन बहाल किये गये है। उन्होंने कहा कि पहले और दूसरे स्टेज के कैंसर पीड़ित मरीज इलाज के बाद पूर्णतः स्वस्थ्य हो जाते है। कभी-कभी तो इन मरीजों का इलाज सिर्फ सर्जरी से ही हो जाता है, उन्हें रेडिएशन की भी जरूरत नहीं पड़ती है।

इस मौके पर पारस एचएमआरआई हाॅस्पिटल के सर्जरी विभाग के डायरेक्टर डाॅ. ए. ए. हई ने कहा कि हम अपनी जीवन शैली में बदलाव लाकर 50 फीसदी कैंसर को रोक सकते हैं। उन्होंने कहा कि कैंसर से बचाव किया जा सकता है, इसका इलाज भी है और यह बीमारी ठीक भी होती है। डाॅ. जे. के. सिंह ने कहा कि कैंसर से बचने के लिए जागरूकता अति आवश्यक है और शुरूआती चरण में पकड़ में आ जाने से कैंसर ठीक हो जाता है। कैंसर से अब घबराने की जरूरत नहीं है। क्योंकि इसका अत्याधुनिक इलाज भी आ गया है।

इस अवसर पर कई कैंसर मरीजों जिनमें दो बच्चे भी शामिल थे, को पुरस्कार भी दिया गया।

इस मौके पर पारस कैंसर सेंटर के डाॅ. आर. एन. टैगोर, डाॅ. अविनाश कुमार सिंह, डाॅ. रिदू कुमार, डाॅ. अभिषेक आनन्द, डाॅ. सुमांत्रा सरकार, डाॅ. मिताली डांडेकर लाल, डाॅ. शेखर केसरी तथा डाॅ. स्नेहा झा भी मौजूद थीं।