थायरॉयड असंतुलन: लक्षण, कारण, जाँच, इलाज और डाइट की पूरी जानकारी
Dec 03, 2025
थायरॉयड असंतुलन आज भारत में तेजी से बढ़ने वाली स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। यह समस्या महिलाओं में ज़्यादा देखी जाती है, लेकिन पुरुषों और बच्चों में भी बढ़ती जा रही है। थायरॉयड एक छोटी-सी तितली जैसी ग्रंथि है, जो गर्दन के सामने मौजूद होती है। यह शरीर के सबसे ज़रूरी हार्मोन्स—T3, T4 और TSH—का निर्माण करती है।
ये हार्मोन आपके मेटाबॉलिज़्म, ऊर्जा, वजन, दिल की धड़कन, पाचन, त्वचा, बाल, मूड और प्रजनन स्वास्थ्य तक सब कुछ नियंत्रित करते हैं।
अगर यह हार्मोन कम या ज्यादा हो जाएँ, तो इसे थायरॉयड असंतुलन कहा जाता है। यह असंतुलन धीरे-धीरे या अचानक कई तरह के लक्षण दिखा सकता है, इसलिए समय पर पहचान और इलाज बेहद ज़रूरी है।
थायरॉयड असंतुलन क्या है?
थायरॉयड असंतुलन तब होता है जब आपकी थायरॉयड ग्रंथि हार्मोन सही मात्रा में नहीं बनाती। इसके दो मुख्य प्रकार हैं:
1. हाइपोथायरॉयडिज़्म (Thyroid Low / थायरॉयड कम होना)
जब थायरॉयड कम काम करता है, हार्मोन कम बनते हैं। इससे आपका मेटाबॉलिज़्म धीमा हो जाता है।
2. हाइपरथायरॉयडिज़्म (Thyroid High / थायरॉयड ज्यादा होना)
जब थायरॉयड ज़रूरत से ज़्यादा सक्रिय हो जाता है, तब हार्मोन बहुत अधिक बनते हैं और मेटाबॉलिज़्म बहुत तेज हो जाता है।
दोनों स्थितियाँ अलग-अलग लक्षण और प्रभाव पैदा करती हैं, लेकिन दोनों का इलाज उपलब्ध और प्रभावी है।
थायरॉयड के लक्षण (Thyroid Symptoms)
थायरॉयड के लक्षण अक्सर सामान्य स्वास्थ्य समस्याओं जैसे लगते हैं—थकान, वजन बढ़ना या कम होना, नींद न आना—इसलिए लोग इन्हें नज़रअंदाज़ कर देते हैं।
हाइपोथायरॉयडिज़्म (थायरॉयड कम होने) के लक्षण
- हमेशा थकान महसूस होना
- वजन बढ़ना
- बाल झड़ना और पतले होना
- त्वचा का रूखापन
- ठंड ज्यादा लगना
- कब्ज होना
- भारी पीरियड्स या अनियमित पीरियड्स
- चेहरे पर सूजन
- मन उदास रहना / डिप्रेशन
- नींद पूरी न होना
- दिल की धड़कन धीमी होना
हाइपरथायरॉयडिज़्म (थायरॉयड बढ़ने) के लक्षण
- तेजी से वजन कम होना
- दिल की धड़कन तेज होना
- हाथों में कंपन
- बहुत ज्यादा पसीना आना
- घबराहट या चिड़चिड़ापन
- कम नींद आना
- मांसपेशियों की कमजोरी
- गर्दन में सूजन (गोइटर)
महिलाओं में थायरॉयड के लक्षण
महिलाओं में यह समस्या ज़्यादा दिखती है:
- अनियमित पीरियड्स
- गर्भधारण में कठिनाई
- बालों का झड़ना
- अचानक वजन बढ़ना या कम होना
- गर्भावस्था में थायरॉयड
पुरुषों में थायरॉयड के लक्षण
- थकान
- यौन कमजोरी
- मांसपेशियों की कमजोरी
- वजन में बदलाव
- मूड स्विंग्स
थायरॉयड के कारण (Thyroid Causes)
कई कारण थायरॉयड हार्मोन असंतुलन पैदा कर सकते हैं:
आयोडीन की कमी या अधिकता
भारत में आयोडीन की कमी प्रमुख कारणों में से एक है।
ऑटोइम्यून रोग
- हैशिमोटो रोग – हाइपोथायरॉयडिज़्म का कारण
- ग्रेव्स रोग – हाइपरथायरॉयडिज़्म का कारण
आनुवांशिक कारण (Genetic Factors)
परिवार में किसी को थायरॉयड होने पर जोखिम बढ़ जाता है।
तनाव (Stress)
लंबे समय तक तनाव शरीर के हार्मोन को प्रभावित करता है।
थायरॉयड ग्रंथि में सूजन या नोड्यूल्स
गांठ, नोड्यूल या गोइटर भी हार्मोन को प्रभावित करते हैं।
गर्भावस्था और प्रसव के बाद हार्मोन में बदलाव
कई महिलाओं को “पोस्टपार्टम थायरॉयड” हो सकता है।
थायरॉयड की जाँच (Thyroid Tests)
थायरॉयड की पुष्टि करने के लिए निम्न टेस्ट किए जाते हैं:
TSH टेस्ट
सबसे महत्वपूर्ण जाँच—यह बताता है कि हार्मोन का स्तर सामान्य है या नहीं।
T3 और T4 टेस्ट
हार्मोन के वास्तविक स्तर को मापता है।
थायरॉयड फंक्शन टेस्ट (TFT)
पूरी थायरॉयड स्थिति का आकलन।
थायरॉयड अल्ट्रासाउंड
गांठ, सूजन या गोइटर की जांच।
एंटीबॉडी टेस्ट
ऑटोइम्यून बीमारी की पहचान करता है।
कब टेस्ट करवाएँ?
- लगातार थकान
- वजन में तेजी से बदलाव
- पीरियड समस्या
- दिल की धड़कन तेज
- बालों का झड़ना
थायरॉयड का इलाज (Thyroid Treatment)
थायरॉयड ठीक किया जा सकता है—जरूरी है सही इलाज और निरंतर जाँच।
हाइपोथायरॉयडिज़्म का इलाज (थायरॉयड कम)
- थायरॉयड की दवा (Levothyroxine)
- डॉक्टर के अनुसार खुराक
- 6–12 हफ्ते में TSH की नियमित जाँच
हाइपरथायरॉयडिज़्म का इलाज (थायरॉयड ज्यादा)
- एंटी-थायरॉयड दवाएँ
- रेडियोएक्टिव आयोडीन थेरेपी
- थायरॉयड सर्जरी
- तेज धड़कन नियंत्रित करने वाली दवाएँ
लाइफस्टाइल और प्राकृतिक तरीके
- तनाव कम करना
- नियमित व्यायाम
- योग और ध्यान
- पर्याप्त नींद
संतुलित थायरॉयड डाइट
थायरॉयड डाइट (Thyroid Diet Plan)
डाइट थायरॉयड कंट्रोल में बड़ा रोल निभाती है।
थायरॉयड में क्या खाएँ (Foods to Eat)
- आयोडीन युक्त खाद्य पदार्थ
- दही, दूध, पनीर
- अंडा, काजू, बादाम, बीज
- फल: केला, सेब, बेरीज़
- सब्जियाँ: गाजर, पालक
- साबुत अनाज
- प्रोटीन: दालें, चिकन, मछली
थायरॉयड में क्या न खाएँ (Foods to Avoid)
- सोया और सोया उत्पाद
- कच्ची पत्तागोभी, ब्रोकली
- जंक फूड
- ज्यादा चीनी
- बहुत अधिक कैफीन
- डीप-फ्राइड भोजन
थायरॉयड डाइट टिप्स
- घर का ताजा भोजन खाएँ
- ओवरईटिंग से बचें
- हफ्ते में 4–5 दिन हल्का व्यायाम
- पानी पर्याप्त मात्रा में पिएँ
विशेष वर्गों में थायरॉयड
गर्भावस्था में थायरॉयड
- माँ और बच्चे दोनों के लिए महत्वपूर्ण
- नियमित TSH जाँच आवश्यक
- डॉक्टर द्वारा सुरक्षित दवा का चयन
बच्चों और किशोरों में
- पढ़ाई, मूड और विकास पर असर
- समय पर जाँच जरूरी
बुजुर्गों में
- हार्ट और दिमाग पर प्रभाव
- कमजोरी, चक्कर, भूख कम लगना
डॉक्टर को कब दिखाएँ?
अगर आपको ये समस्याएँ लगें, तुरंत विशेषज्ञ से मिलें:
- वजन में तेज बदलाव
- लगातार थकान
- बाल झड़ना
- दिल की धड़कन तेज
- गर्दन में सूजन
- पीरियड अनियमित
- नींद की समस्या
- तनाव और मूड स्विंग्स
निष्कर्ष (Conclusion)
थायरॉयड असंतुलन बहुत आम है, लेकिन सही समय पर जाँच, दवा, और डाइट से पूरी तरह नियंत्रित किया जा सकता है। अपने शरीर के संकेतों को अनदेखा न करें। यदि आपको थकान, वजन बदलना, बाल झड़ना, नींद की दिक्कत या दिल की धड़कन असामान्य लगे, तो तुरंत थायरॉयड टेस्ट करवाएँ और विशेषज्ञ से सलाह लें।
FAQs
थायरॉयड के शुरुआती लक्षण क्या हैं?
थकान, वजन बढ़ना या कम होना, बाल झड़ना, त्वचा का रूखापन और मूड में बदलाव शुरुआती लक्षण हैं।
थायरॉयड क्यों होता है?
आयोडीन की कमी, तनाव, ऑटोइम्यून रोग, आनुवांशिक कारण और हार्मोनल बदलाव इसकी वजह हैं।
थायरॉयड टेस्ट कैसे होता है?
एक साधारण ब्लड टेस्ट—TSH, T3, T4 की जाँच से थायरॉयड का पता चलता है।
थायरॉयड की दवा कौन सी है?
हाइपोथायरॉयडिज़्म में Levothyroxine दी जाती है, जबकि हाइपरथायरॉयडिज़्म में एंटी-थायरॉयड दवाएँ दी जाती हैं।
थायरॉयड में क्या खाना चाहिए?
दूध, दही, आयोडीन युक्त नमक, अंडा, दालें, फल और हरी सब्जियाँ फायदेमंद होती हैं।
थायरॉयड में क्या नहीं खाना चाहिए?
कच्ची पत्तागोभी, ब्रोकली, सोया, जंक फूड, शक्कर और बहुत अधिक कैफीन से बचें।
क्या थायरॉयड पूरी तरह ठीक हो सकता है?
हाइपरथायरॉयडिज़्म कुछ मामलों में ठीक हो सकता है; हाइपोथायरॉयडिज़्म में दवा से जीवनभर नियंत्रण रहता है।
क्या तनाव से थायरॉयड बढ़ता है?
हाँ, ज्यादा तनाव हार्मोन को प्रभावित करता है और थायरॉयड असंतुलन को बढ़ा सकता है।
थायरॉयड कितने समय में कंट्रोल होता है?
दवा शुरू करने के 6–12 हफ्ते में सुधार दिखता है, लेकिन नियमित जाँच जरूरी है।
डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
जब लगातार थकान, वजन बदलाव, बाल झड़ना, पीरियड समस्या या गर्दन की सूजन दिखे।