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Mar 2, 2024

पारस ग्लोबल हाॅस्पिटल, दरभंगा ए. वी. फिस्टुला बनाने में बिहार में अव्वल

पारस ग्लोबल हाॅस्पिटल, दरभंगा ए. वी. फिस्टुला बनाने में बिहार में अव्वल

हाॅस्पिटल के विशेषज्ञ डाॅ. अभिषेक बोस ने कहा, सेरम क्रेटनिन के निर्धारित मानदंड से बढ़ते ही किडनी मरीजों को यथाशीघ्र ए. वी. फिस्टुला बनवा लेना चाहिए

ए. वी. फिस्टुला बावासीर के बढ़ने के बाद होने वाले फिस्टुला से बिल्कुल अलग है, किडनी मरीजों के डायलिसिस में मदद करता है ए. वी. फिस्टुला

दरभंगा, 23 जुलाई 2018: पारस ग्लोबल हाॅस्पिटल, दरभंगा में ए.वी. फिस्टुला (ए. वी. भगंदर) बनाने के विशेषज्ञ डाॅ. अभिषेक बोस ने कहा है कि किडनी की बीमारी से ग्रसित मरीजों को डायलिसिस की जरूरत पड़ने से पूर्व ही ए.वी. फिस्टुला बनवा लेना चाहिए ताकि डायलिसिस के समय खून का फ्लो (धार) कम न होने पाये। उन्होंने कहा कि इसके लिए किडनी मरीजों में जागरूकता जगाने की जरूरत है। किडनी की जांच सेरम क्रेटनिन जैसे ही निर्धारित मानदंड से ऊपर जाने लगे तो मरीजों को ए.वी. फिस्टुला बनावा लेना चाहिए ताकि डायलिसिस करने में कोई बाधा न आये। यह ए.वी. फिस्टुला (भगंदर) बावासीर वाले फिस्टुला (भगंदर) से बिल्कुल अलग है। कई बार लोग ए.वी. फिस्टुला को बावासीर का फिस्टुला समझने की भूल करते हैं। उन्होंने कहा कि अभी हाल में ही राजद सुप्रीमों को किडनी की बीमारी के चलते ए.वी. फिस्टुला का निर्माण कराना पड़ा हैं पारस ग्लोबल हाॅस्पिटल में डाॅ. बोस ने अबतक करीब 150 ए.वी. फिस्टुला बनाया है।

डाॅ. बोस के अनुसार मिथिलांचल तथा उत्तर बिहार के विभिन्न जिलों के अलावा पटना में भी मरीज ए.वी. फिस्टुला बनवाने के लिए पारस ग्लोबल हाॅस्पिटल में आते हैं। ए.वी. फिस्टुला हाथ की कलाई में बनाया जाता है। इसमें दायें हाथ के लोगों में बायें हाथ की कलाई में तथा बायें हाथ के लोगों में दायें हाथ की कलाई में फिस्टुला बनाया जाता है। कहने का मतलब जिस हाथ से आदमी ज्यादा काम करता है उसे विपरीत वाले हाथ की कलाई में फिस्टुला बनाया जाता है। फिस्टुला निर्माण में अंदर की खून की धमनियों को बाहर की धमनियों से जोड़ दिया जाता है। यह फिस्टुला कलाई पर चमड़ी के अंदर बनाया जाता है। ए.वी. फिस्टुला का मतलब होता है आर्टीरियो वेनस फिस्टुला को धमनियों से जोड़ा जाता है। इसके एक घंटे का छोटा आॅपरेशन करना पड़ता हैं। अगर फिस्टुला का निर्माण न किया जायेगा तो उपर की नस से खून का फ्लो डायलिसिस के लिए पूरा नहीं मिल पायेगा, साथ ही धीरे-धीरे पूरी नस पंक्चर कर जायेगी और डायलिसिस करना मुश्किल हो जायेगा। इसलिए इसका निर्माण अतिआवश्यक है। मरीज को एक बात का हमेशा ध्यान रखना पड़ेगा कि किन हाथ की कलाई में फिस्टुला है, उस हाथ से भारी चीज नहीं उठाना है, बी.पी. जांच उस हाथ से नहीं कराना है तथा उस हाथ में कोई सूई नहीं लगवानी है। फिस्टुला जब तक काम करता रहेगा उसमें झड़झड़ की आवाज होगी और इसे कभी-कभी सुनते रहना होगा। यह काम आला से भी किया जाता हैं उन्होंने कहा कि किडनी के मरीज हो जाने पर खान-पान पर विशेष ध्यान देना चाहिए। डाॅक्टर द्वारा बताये गये खान-पान का पालन करना चाहिए तथा बी.पी., शुगर को नियंत्रित रखना चाहिए। इसके अलावा हेपेटाइटिस बी का वैक्सीनेशन भी लगवा लेना चाहिए।