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गर्भावस्था के दौरान थायरॉइड टेस्ट क्यों ज़रूरी है

By Dr. Sheetal Kaushik in Obstetrics & Gynaecology

Oct 11, 2025

गर्भावस्था एक ऐसा समय है जो खुशी, उम्मीद और बदलाव से भरा होता है — न सिर्फ़ भावनात्मक रूप से, बल्कि हार्मोनल रूप से भी।
इन्हीं हार्मोन्स में से एक है थायरॉइड हार्मोन (Thyroid hormone) — जो माँ और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य पर सीधा असर डालता है।

यह ग्रंथि आकार में छोटी होती है, लेकिन गर्भावस्था में इसका प्रभाव बहुत बड़ा होता है।
इसीलिए गर्भावस्था में थायरॉइड टेस्ट (thyroid test during pregnancy) करवाना बेहद ज़रूरी है —
चाहे आपको कोई लक्षण न दिखाई दें।

इस ब्लॉग में हम जानेंगे —
गर्भावस्था में थायरॉइड ग्रंथि क्या करती है
थायरॉइड हार्मोन शरीर पर कैसे असर डालता है
गर्भावस्था के दौरान TSH लेवल्स क्या होने चाहिए
और थायरॉइड टेस्ट का महत्व (thyroid test in pregnancy importance) हर होने वाली माँ के लिए क्यों ज़रूरी है

थायरॉइड क्या है और प्रेगनेंसी में कैसे काम करता है?

थायरॉइड ग्रंथि (Thyroid gland) आपकी गर्दन के सामने स्थित होती है और यह दो महत्वपूर्ण हार्मोन बनाती है —
T3 (Triiodothyronine) और T4 (Thyroxine)
ये हार्मोन शरीर के मेटाबॉलिज़्म, ऊर्जा और विकास को नियंत्रित करते हैं।

गर्भावस्था के दौरान यही थायरॉइड हार्मोन बच्चे के मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र (nervous system) के विकास में मुख्य भूमिका निभाते हैं,
खासकर पहले त्रैमासिक (first trimester) में।

गर्भावस्था में hCG और estrogen जैसे हार्मोन्स के बढ़ने से थायरॉइड की गतिविधि भी बढ़ जाती है।
इसी कारण TSH लेवल्स में उतार-चढ़ाव (thyroid changes in pregnancy) देखे जा सकते हैं।
इसलिए नियमित रूप से थायरॉइड टेस्ट (thyroid test during pregnancy) कराना बहुत आवश्यक है।

गर्भावस्था में थायरॉइड टेस्ट क्यों ज़रूरी है

कई महिलाएँ पहली बार गर्भावस्था के दौरान ही थायरॉइड समस्या के बारे में जान पाती हैं। इसका कारण यह है कि इसके शुरुआती लक्षण — जैसे थकान, वजन बढ़ना या मूड स्विंग्स — सामान्य प्रेगनेंसी लक्षणों से मिलते-जुलते हैं।

एक साधारण ब्लड टेस्ट (thyroid blood test) जिसमें TSH, Free T3 और Free T4 की जाँच की जाती है, डॉक्टर को आपकी थायरॉइड स्थिति समझने में मदद करता है।

समय पर थायरॉइड टेस्ट करवाने से निम्न जटिलताओं से बचा जा सकता है —

  • गर्भपात (Miscarriage) या समयपूर्व प्रसव (Preterm birth)

  • प्रीक्लेम्पसिया (High blood pressure in pregnancy)

  • बच्चे का कम वजन (Low birth weight)

  • बच्चे के मस्तिष्क के विकास में देरी (Delayed brain development)

डॉक्टर अक्सर सलाह देते हैं कि पहले तिमाही में थायरॉइड स्क्रीनिंग (thyroid screening in early pregnancy) ज़रूर कराएं, खासकर यदि परिवार में थायरॉइड की समस्या रही हो।

गर्भावस्था में सामान्य TSH लेवल्स

गर्भावस्था के दौरान थायरॉइड हार्मोन में बदलाव होते हैं, इसलिए TSH के सामान्य स्तर (Normal TSH range) सामान्य महिलाओं से अलग होते हैं।

 
तिमाही

सामान्य TSH सीमा (mIU/L)

क्या दर्शाता है

प्रथम तिमाही 

0.1 – 2.5

hCG की वृद्धि से TSH अस्थायी रूप से घटता है

द्वितीय तिमाही

0.2 – 3.0

हार्मोन स्तर स्थिर रहता है

तृतीय तिमाही

0.3 – 3.5

हल्की वृद्धि सामान्य मानी जाती है

ये trimester-wise thyroid ranges डॉक्टर को आपकी रिपोर्ट सही तरह से समझने में मदद करती हैं।

गर्भावस्था में आम थायरॉइड समस्याएँ

हाइपोथायरॉइडिज़्म (Hypothyroidism – थायरॉइड का कम सक्रिय होना)

जब थायरॉइड पर्याप्त हार्मोन नहीं बनाता, तो इसे हाइपोथायरॉइडिज़्म कहते हैं।

लक्षण:

  • अत्यधिक थकान

  • सूखी त्वचा

  • वजन बढ़ना

  • कब्ज़

  • मूड में गिरावट

यदि इलाज न किया जाए तो गर्भपात, एनीमिया या बच्चे के विकास में देरी हो सकती है।

हाइपरथायरॉइडिज़्म (Hyperthyroidism – थायरॉइड का ज़्यादा सक्रिय होना)

जब थायरॉइड बहुत अधिक हार्मोन बनाता है, इसे हाइपरथायरॉइडिज़्म कहा जाता है।

लक्षण:

  • तेज़ दिल की धड़कन

  • घबराहट

  • वजन घटना

  • पसीना आना

  • हाथों में कंपन

यह स्थिति अक्सर Graves’ disease या Gestational thyrotoxicosis से जुड़ी होती है।

डॉक्टर कई बार थायरॉइड एंटीबॉडी टेस्ट (Anti-TPO, Anti-TG, TRAb) करवाते हैं ताकि ऑटोइम्यून थायरॉइडिटिस (Autoimmune thyroiditis) जैसे हाशिमोटो रोग की पुष्टि हो सके।

गर्भावस्था में थायरॉइड टेस्ट कैसे किया जाता है?

थायरॉइड टेस्ट एक सामान्य रक्त जांच (blood test) है —
न तो दर्दनाक होती है और न ही उपवास (fasting) की ज़रूरत पड़ती है।

प्रक्रिया:

  • ब्लड सैंपल लिया जाता है

  • लैब में TSH, Free T4, और TPO antibodies की जांच की जाती है

  • अगर रिपोर्ट असामान्य हो, तो हर 4–6 हफ्ते पर पुनः जांच की जाती है

टिप: एक ही लैब से नियमित जांच कराएं ताकि परिणामों में स्थिरता बनी रहे।

आप “thyroid test near me” या “thyroid test price in pregnancy” जैसे शब्दों से नज़दीकी लैब खोज सकते हैं।

अगर थायरॉइड लेवल असामान्य हों तो क्या करें?

अगर TSH बढ़ा हुआ (high TSH in pregnancy) या बहुत कम (low TSH in pregnancy) हो, तो घबराने की ज़रूरत नहीं है — सही इलाज से यह पूरी तरह नियंत्रित किया जा सकता है।

इलाज के विकल्प:

  • Hypothyroidism में: डॉक्टर Levothyroxine दवा देते हैं (सुरक्षित और प्रभावी)

  • Hyperthyroidism में: पहले ट्राइमेस्टर में Propylthiouracil (PTU) दी जाती है

  • हर 4–6 हफ्ते में TSH टेस्ट दोहराया जाता है ताकि दवा की खुराक सही रखी जा सके

अगर इलाज न किया जाए तो:

  • गर्भपात

  • कम वजन वाला बच्चा

  • प्रीक्लेम्पसिया

  • Postpartum thyroiditis जैसी जटिलताएँ हो सकती हैं

थायरॉइड को नियंत्रित रखने के लिए आहार सुझाव

दवा के साथ संतुलित आहार भी थायरॉइड को नियंत्रित रखने में मदद करता है।

खाने में शामिल करें:

  • आयोडीन युक्त नमक

  • दूध, दही, अंडे, मछली

  • नट्स, बीज (seeds), दालें – selenium और zinc के स्रोत

  • धूप और विटामिन D सप्लीमेंट (डॉक्टर की सलाह से)

बचें:

  • ज़्यादा सोया उत्पाद

  • कच्ची पत्तागोभी या अन्य गोइट्रोजन युक्त सब्ज़ियाँ

  • जंक फूड और मीठे पेय

 

  •  

डिलीवरी के बाद थायरॉइड जांच

बच्चे के जन्म के बाद कुछ महिलाओं में Postpartum thyroiditis हो सकता है —जिसमें थायरॉइड अस्थायी रूप से ज़्यादा या कम सक्रिय हो जाता है।

ध्यान दें:

  • डिलीवरी के 6–12 हफ्ते बाद थायरॉइड टेस्ट दोबारा कराएं

  • अगर गर्भावस्था के दौरान थायरॉइड असंतुलन रहा हो, तो यह जांच ज़रूरी है

  • स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए डॉक्टर सुरक्षित दवा बताते हैं

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

थायरॉइड टेस्ट कब करवाना चाहिए गर्भावस्था में?

थायरॉइड टेस्ट गर्भावस्था की शुरुआत में, यानी पहले एंटिनेटल विज़िट या प्रेगनेंसी की पुष्टि होते ही करवाना चाहिए। इससे किसी भी असंतुलन का समय पर पता लगाया जा सकता है।

क्या थायरॉइड टेस्ट अनिवार्य है गर्भावस्था में?

हाँ, यह हर होने वाली माँ के लिए ज़रूरी जांच है क्योंकि थायरॉइड असंतुलन माँ और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है।

सामान्य TSH स्तर क्या होता है प्रेगनेंसी में?

पहले त्रैमासिक में 0.1–2.5 mIU/L और तीसरे में 3.5 तक सामान्य माना जाता है। यह रेंज बच्चे के विकास के लिए सुरक्षित होती है।

थायरॉइड असंतुलन के कारण क्या हैं?

हार्मोनल बदलाव, परिवार में थायरॉइड का इतिहास या ऑटोइम्यून बीमारियाँ (जैसे Hashimoto या Graves’ disease) इसके मुख्य कारण हैं।

कितनी बार टेस्ट करवाना चाहिए प्रेगनेंसी में?

अगर आप दवा ले रही हैं, तो हर 4–6 हफ्ते में TSH टेस्ट दोहराना चाहिए ताकि दवा की खुराक सही बनी रहे।

क्या थायरॉइड बच्चे को प्रभावित करता है?

हाँ, अगर नियंत्रण में न हो तो बच्चे के मस्तिष्क और शारीरिक विकास पर असर पड़ सकता है, साथ ही कम वजन या समयपूर्व जन्म का जोखिम बढ़ता है।

क्या थायरॉइड टेस्ट से पहले उपवास ज़रूरी है?

नहीं, थायरॉइड ब्लड टेस्ट के लिए फास्टिंग की ज़रूरत नहीं होती। आप इसे दिन के किसी भी समय करवा सकती हैं।

गर्भावस्था में थायरॉइड के लक्षण क्या हैं?

लगातार थकान, वजन बढ़ना या घटना, मूड स्विंग्स, सूजन या बाल झड़ना – ये संकेत थायरॉइड असंतुलन के हो सकते हैं।

क्या डिलीवरी के बाद थायरॉइड सामान्य हो सकता है?

हाँ, कई मामलों में डिलीवरी के कुछ महीनों बाद थायरॉइड स्तर सामान्य हो जाते हैं, लेकिन डॉक्टर की निगरानी ज़रूरी होती है।

गर्भावस्था में थायरॉइड का इलाज कैसे होता है?

थायरॉइड असंतुलन का इलाज सुरक्षित दवाओं जैसे Levothyroxine (हाइपोथायरॉइड) या PTU (हाइपरथायरॉइड) से किया जाता है। इलाज हमेशा डॉक्टर की सलाह पर ही करें।

निष्कर्ष (Conclusion)

एक साधारण थायरॉइड टेस्ट (thyroid test during pregnancy) आपके और आपके बच्चे के स्वास्थ्य में बड़ा फर्क ला सकता है। समय पर जांच और सही इलाज से स्वस्थ गर्भावस्था और सुरक्षित प्रसव संभव है।

यदि आप गर्भधारण की योजना बना रही हैं या पहले से गर्भवती हैं —तो आज ही अपने स्त्री रोग विशेषज्ञ या एंडोक्रिनोलॉजिस्ट से परामर्श करें।

Content Written & Approved by
Dr. Sheetal Kaushik
Consultant • OBSTETRICS AND GYNAECOLOGY

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