गर्भावस्था के दौरान किन बातों का रखें खास ध्यान? जानें खानपान, सावधानियां और जांचें
Jun 19, 2025
गर्भावस्था (Pregnancy) एक खूबसूरत और भावनात्मक यात्रा होती है। इस दौरान मां और होने वाले बच्चे दोनों की सेहत की सही देखभाल बेहद ज़रूरी है। अगर आप पहली बार मां बनने जा रही हैं या कोई अपने परिवार में गर्भवती है, तो यह जानना बेहद जरूरी है कि प्रेगनेंसी के दौरान क्या करना चाहिए और क्या नहीं।
इस ब्लॉग में हम बात करेंगे:
- गर्भावस्था में क्या खाना चाहिए
- क्या सावधानियां जरूरी हैं
- कौन-कौन सी मेडिकल जांचें (Tests) जरूरी हैं
- और कब डॉक्टर से संपर्क करें
गर्भावस्था में खानपान – क्या खाएं, क्या नहीं?
गर्भावस्था के दौरान सही और संतुलित आहार (Balanced Pregnancy Diet) लेना मां और बच्चे दोनों की सेहत के लिए ज़रूरी है। इस समय आपकी बॉडी को न सिर्फ अपनी ज़रूरतें पूरी करनी होती हैं, बल्कि गर्भ में पल रहे शिशु के विकास के लिए भी आवश्यक पोषक तत्व देने होते हैं। इसलिए यह जानना जरूरी है कि क्या खाएं और क्या नहीं।
क्या खाना चाहिए – हेल्दी और पोषण से भरपूर चीजें
(गर्भवती महिला का आदर्श आहार चार्ट)
- फल और हरी सब्जियां (Fruits & Vegetables)
- सेब, केला, अनार, संतरा, पका हुआ पपीता (raw नहीं), अमरूद
- पालक, मेथी, लौकी, गाजर, बीन्स, मटर, शलजम
➡️ यह विटामिन A, C, फाइबर और आयरन से भरपूर होती हैं और कब्ज से बचाती हैं।
- दूध और डेयरी उत्पाद (Dairy Products)
- दूध, दही, छाछ, पनीर, चीज़
➡️ कैल्शियम, विटामिन D और प्रोटीन के लिए ज़रूरी। ये शिशु की हड्डियों और दांतों की ग्रोथ में मदद करते हैं।
- दूध, दही, छाछ, पनीर, चीज़
- सूखे मेवे (Dry Fruits)
- बादाम, अखरोट, किशमिश, खजूर
➡️ ये हाई एनर्जी फूड हैं जो थकान और कमजोरी को दूर करने में सहायक हैं। आयरन और हेल्दी फैट्स का अच्छा स्रोत।
- बादाम, अखरोट, किशमिश, खजूर
- अंकुरित अनाज और दालें (Sprouts & Pulses)
- मूंग, चना, मसूर, अरहर
➡️ ये प्रोटीन और आयरन का बड़ा स्रोत हैं। ये मांसपेशियों की ग्रोथ और रेड ब्लड सेल्स बनाने में सहायक होते हैं।
- मूंग, चना, मसूर, अरहर
- प्रोटीन युक्त फूड (Protein-rich Foods)
- उबला अंडा, चिकन, फिश (अगर आप नॉन-वेज खाती हैं)
➡️ मांसपेशियों की ग्रोथ, शिशु के ऊतक विकास और इम्युनिटी के लिए ज़रूरी।
- उबला अंडा, चिकन, फिश (अगर आप नॉन-वेज खाती हैं)
- अच्छे कार्बोहाइड्रेट और फाइबर (Whole Grains & Fiber)
- ब्राउन राइस, ओट्स, मल्टीग्रेन रोटी, दलिया
➡️ ये आपको लंबे समय तक ऊर्जा देते हैं और कब्ज की समस्या को रोकते हैं।
- ब्राउन राइस, ओट्स, मल्टीग्रेन रोटी, दलिया
- आयरन और फोलिक एसिड वाले फूड्स
- चुकंदर, अनार, हरी पत्तेदार सब्जियां, किशमिश
➡️ फोलिक एसिड Neural Tube Defect से बचाता है और आयरन एनीमिया से।
- चुकंदर, अनार, हरी पत्तेदार सब्जियां, किशमिश
- पानी और हाइड्रेशन
- दिन भर में 8-10 गिलास पानी जरूर पिएं
➡️ शरीर को डीटॉक्स करने और एमनियोटिक फ्लूइड बनाए रखने में मदद मिलती है।
- दिन भर में 8-10 गिलास पानी जरूर पिएं
क्या नहीं खाना चाहिए – जिससे हो सकता है नुकसान
- कच्चा या अधपका मांस, अंडा, मछली
- इनमें बैक्टीरिया और परजीवी हो सकते हैं जैसे साल्मोनेला या लिस्टीरिया, जो मां और शिशु के लिए खतरनाक हैं।
- सॉफ्ट चीज़ और अनपाश्चराइज्ड दूध
- जैसे ब्लू चीज़, ब्रि चीज़, गोत चीज़ – बैक्टीरिया संक्रमण का खतरा बढ़ा सकते हैं।
- अधिक कैफीन युक्त पेय
- ज्यादा चाय, कॉफी, एनर्जी ड्रिंक से मिसकैरेज या कम वज़न वाला बच्चा हो सकता है।
➡️ दिन में 1-2 कप से ज़्यादा न लें।
- ज्यादा चाय, कॉफी, एनर्जी ड्रिंक से मिसकैरेज या कम वज़न वाला बच्चा हो सकता है।
- ज्यादा तला-भुना और जंक फूड
- पिज़्ज़ा, बर्गर, समोसे, चिप्स – इनमें पोषण नहीं होता, उल्टा वजन और BP बढ़ा सकते हैं।
- अत्यधिक नमक या मसाले वाला खाना
- यह पानी रुकने (Water Retention) और हाई BP की वजह बन सकता है।
- शराब और धूम्रपान
- भ्रूण के मानसिक और शारीरिक विकास पर बुरा असर डालता है। जन्म दोष और मिसकैरेज की संभावना बढ़ती है।
गर्भावस्था के दौरान जरूरी सावधानियां (Precautions)
गर्भवती महिला को शारीरिक और मानसिक रूप से खुद का ध्यान रखना चाहिए। छोटी सी लापरवाही भी कई बार समस्या पैदा कर सकती है।
क्या सावधानी रखें?
- धूम्रपान और शराब पूरी तरह से छोड़ दें
- भारी वजन उठाने या झुकने से बचें
- भीड़भाड़ और बीमार लोगों से दूरी बनाए रखें
- तनाव और चिंता कम करें – मेडिटेशन और म्यूजिक सुनें
- आरामदायक कपड़े पहनें और भरपूर नींद लें
गर्भावस्था में कौन-कौन सी जांच जरूरी हैं?
गर्भावस्था के दौरान नियमित रूप से कुछ मेडिकल जांचें कराना जरूरी है। इससे बच्चे की ग्रोथ और मां की सेहत पर नज़र रखी जा सकती है।
जरूरी जांचें:
- ब्लड टेस्ट: हीमोग्लोबिन, शुगर, थायरॉइड
- यूरिन टेस्ट: इंफेक्शन की जांच
- NT Scan (11-14 हफ्ते): बच्चे की सामान्य संरचना की जांच
- Anomaly Scan (18-22 हफ्ते): बच्चे के अंगों की विस्तार से जांच
- डबल मार्कर, TSH, CBC जैसी ब्लड स्क्रीनिंग
- गर्भावस्था में सोनोग्राफी: हर तिमाही में एक बार ज़रूर
जीवनशैली और मानसिक स्वास्थ्य
स्वस्थ जीवनशैली से न सिर्फ आपका मूड बेहतर रहेगा, बल्कि डिलीवरी भी आसान हो सकती है।
अपनाएं ये आदतें:
- रोजाना हल्की वॉक करें
- प्रेगनेंसी योग करें (डॉक्टर की सलाह से)
- 7-8 घंटे की नींद लें
- किताबें पढ़ें, पॉजिटिव लोगों से बात करें
- अपने पार्टनर और परिवार से बात करें – इमोशनल सपोर्ट बहुत ज़रूरी है
हर तिमाही में क्या-क्या ध्यान रखें?
पहली तिमाही (0-3 महीने):
- फोलिक एसिड ज़रूरी
- जी मिचलाना और थकान सामान्य है
- अधिक आराम करें
दूसरी तिमाही (4-6 महीने):
- वजन बढ़ना शुरू होता है
- बेबी मूवमेंट महसूस हो सकता है
- आयरन और कैल्शियम सप्लीमेंट ज़रूरी
तीसरी तिमाही (7-9 महीने):
- पेट का आकार बढ़ता है
- बार-बार पेशाब आना या पीठ दर्द हो सकता है
- डॉक्टर से नियमित विज़िट करें
कब डॉक्टर को दिखाएं?
यदि आपको इनमें से कोई लक्षण महसूस हो:
- पेट में तेज़ दर्द
- ब्लीडिंग
- तेज बुखार
- सिरदर्द या आंखों के सामने धुंध
- बच्चे की मूवमेंट ना होना
तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
Conclusion (निष्कर्ष)
गर्भावस्था में सही खानपान, सावधानी और समय पर जांचें आपकी और आपके बच्चे की सेहत के लिए सबसे बड़ा निवेश हैं। हमेशा डॉक्टर की सलाह लें और कोई भी समस्या हो तो देर न करें।
अपनी प्रेगनेंसी को सुरक्षित और खुशहाल बनाएं!
Paras Health के विशेषज्ञ गायनोकोलॉजिस्ट से संपर्क करें और हर तिमाही में सही जांच कराएं।
Call Now: 8080808069
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