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फीवर(बुखार), खांसी और सांस की तकलीफ – कब सामान्य है और कब खतरा?

फीवर(बुखार), खांसी और सांस की तकलीफ – कब सामान्य है और कब खतरा?
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By Dr. Swetabh Purohit in Pulmonology

Jun 18, 2025

बुखार, खांसी और सांस लेने में तकलीफ ऐसे लक्षण हैं जो मामूली सर्दी-जुकाम से लेकर गंभीर बीमारियों तक का संकेत हो सकते हैं। कई बार यह वायरल इन्फेक्शन या एलर्जी का हिस्सा होता है, लेकिन कई बार यही लक्षण निमोनिया, टीबी, ब्रोंकाइटिस, अस्थमा, हार्ट फेलियर या कोविड जैसे खतरनाक संक्रमण की ओर इशारा करते हैं। इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे कि इन लक्षणों को कैसे समझें, कौन से लक्षण सामान्य हैं और कब डॉक्टर को दिखाना जरूरी हो जाता है।

बुखार, खांसी और सांस की तकलीफ के आम कारण

  1. वायरल फीवर या फ्लू: वायरल संक्रमण से हल्का बुखार, गले में खराश, सूखी खांसी, और कभी-कभी सांस फूलने जैसे लक्षण होते हैं। आराम, भाप और साधारण दवा से 4–7 दिन में राहत मिलती है।
  2. कोविड-19: तेज़ बुखार, सूखी खांसी, सांस फूलना, स्वाद और गंध का चले जाना कोविड के प्रमुख लक्षण हैं। अगर ऑक्सीजन लेवल 94% से नीचे जाए, तो तुरंत मेडिकल सहायता लें।
  3. एलर्जी: धूल, धुआं, पराग आदि से एलर्जी के कारण खांसी और सांस की दिक्कत हो सकती है, खासकर अस्थमा के मरीजों में।
  4. निमोनिया: गंभीर फेफड़ों का संक्रमण है, जिसमें तेज़ बुखार, बलगम वाली खांसी, सीने में दर्द और सांस फूलना होता है। यह बच्चों और बुजुर्गों में जानलेवा हो सकता है।
  5. ब्रोंकाइटिस / अस्थमा: सीने में जकड़न, खांसी, बलगम और सांस लेने में परेशानी। ये एलर्जी, सर्दी या मौसम बदलाव से और बिगड़ सकते हैं।
  6. टीबी: लगातार 3 हफ्ते से ज्यादा खांसी, बुखार, बलगम में खून और वजन कम होना — ये टीबी के संकेत हो सकते हैं।
  7. पोस्ट कोविड लक्षण: कोविड के बाद भी खांसी, सांस फूलना और थकावट कई हफ्तों तक बनी रह सकती है।

कब समझें कि लक्षण सामान्य हैं? (विस्तृत जानकारी)

कुछ लक्षण शरीर की सामान्य इम्यून प्रतिक्रिया का हिस्सा हो सकते हैं और ज़रूरी नहीं कि ये किसी गंभीर बीमारी का संकेत हों। ये लक्षण अगर हल्के हैं और समय के साथ ठीक हो रहे हैं, तो घबराने की ज़रूरत नहीं होती:

  • बुखार हल्का है (100°F से कम):
    यह शरीर का नेचुरल डिफेंस मैकेनिज्म है। वायरल सर्दी-ज़ुकाम या हल्का इंफेक्शन होने पर शरीर हल्का बुखार पैदा करता है ताकि वायरस को खत्म किया जा सके।
  • सूखी खांसी है लेकिन बलगम नहीं है:
    मौसम बदलाव, ठंडी चीज़ें खाने या हल्की एलर्जी के कारण ऐसी खांसी हो सकती है। अगर खांसी में खून या गाढ़ा बलगम नहीं है, तो यह आमतौर पर गंभीर नहीं होती।
  • सांस फूलती है लेकिन आराम से बैठने पर ठीक हो जाती है:
    थकान, चढ़ाई, या व्यायाम के बाद थोड़ी देर तक सांस फूलना सामान्य है। लेकिन अगर सांस फूलना बैठने या सोने पर भी बना रहे, तो डॉक्टर से जांच करवानी चाहिए।
  • गले में खराश, छींकें, नाक बंद या बहना:
    यह एलर्जी, सामान्य जुकाम या मौसम बदलाव का हिस्सा हो सकते हैं। अगर इसके साथ बुखार या सांस की दिक्कत नहीं है, तो यह आमतौर पर 3–4 दिनों में ठीक हो जाते हैं।

क्या करें जब लक्षण हल्के हों?

  • भाप लें: गले और नाक की सूजन कम करने के लिए कारगर है।
  • तुलसी-अदरक काढ़ा पिएं: शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।
  • गर्म पानी पीते रहें और गरारे करें: गले की खराश से राहत मिलेगी।
  • पूरा आराम करें: शरीर को आराम देने से रिकवरी तेज़ होती है।
  • हल्का खाना खाएं: शरीर पर दबाव न पड़े।

यदि लक्षण 3–4 दिन में ठीक न हों या बिगड़ने लगें — जैसे तेज़ बुखार, खांसी बढ़ना या सांस फूलना — तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें

कब है खतरे की निशानी? (विस्तृत जानकारी)

कुछ लक्षण ऐसे होते हैं जिन्हें नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है। नीचे बताए गए लक्षणों को यदि आप या आपके किसी परिवारजन में देखें, तो यह संकेत हो सकता है कि स्थिति गंभीर है और तुरंत मेडिकल सहायता लेनी चाहिए:

  1. लगातार तेज़ बुखार (103°F या उससे अधिक) तीन दिन से अधिक:
    • अगर बुखार पेरासिटामोल लेने के बावजूद कम नहीं हो रहा हो।
    • शरीर में कंपकंपी, पसीना और कमजोरी बनी रहे।
    • बच्चों में बुखार के साथ सुस्ती या नींद ज्यादा आना खतरनाक संकेत हो सकता है।
  2. खांसी में खून आना:
    • यह टीबी, ब्रोंकिएक्टेसिस या फेफड़ों में गंभीर संक्रमण का संकेत हो सकता है।
    • अगर बलगम के साथ खून बार-बार आता है, तो तुरंत स्पेशलिस्ट से मिलें।
  3. सांस लेने में कठिनाई और ऑक्सीजन लेवल 94% से कम:
    • यह कोविड, निमोनिया, हार्ट फेलियर या अस्थमा अटैक का संकेत हो सकता है।
    • अगर बिना exertion (चलना-फिरना) के भी सांस फूल रही हो, तो यह इमरजेंसी है।
  4. सीने में दर्द, दबाव या भारीपन:
    • सांस के साथ दर्द हो या छाती कसने लगे तो यह हार्ट अटैक या पल्मोनरी एम्बोलिज़्म जैसे खतरनाक स्थिति का लक्षण हो सकता है।
    • खासतौर पर बुजुर्गों और हाइपरटेंशन रोगियों को यह संकेत गंभीरता से लेना चाहिए।
  5. बच्चों में तेज़ रोना, दूध न पीना या सुस्ती:
    • नवजात या छोटे बच्चे अगर लगातार रो रहे हैं, दूध नहीं पी रहे हैं या बहुत शांत हो गए हैं तो यह संकेत है कि उन्हें सांस लेने में परेशानी हो रही है।
    • बच्चा हांफ रहा हो या नाक फड़फड़ा रहा हो तो यह ऑक्सीजन की कमी दिखाता है।
  6. बुजुर्गों में भ्रम, बेहोशी या प्रतिक्रिया में कमी:
    • बुजुर्ग अगर अचानक बहुत शांत हो जाएं, जवाब देना बंद कर दें या भ्रमित हो जाएं तो यह हाइपोक्सिया (oxygen की कमी) या सेप्सिस का संकेत हो सकता है।
  7. गर्भवती महिलाओं में सांस फूलना या असहनीय थकावट:
    • यह फेफड़ों की संकुचन, एनीमिया या प्री-एक्लेम्पसिया का संकेत हो सकता है।
    • गर्भावस्था में ऑक्सीजन सप्लाई दो शरीरों को करनी होती है — इसलिए लक्षण को कभी नज़रअंदाज न करें।

कौन-कौन से टेस्ट कराए जा सकते हैं? (विस्तृत सूची)

  1. RT-PCR (कोविड-19 जांच):
    • अगर बुखार, खांसी और सांस फूलने के साथ गंध या स्वाद चला गया है, तो यह पहला टेस्ट है।
  2. Chest X-ray / HRCT (फेफड़ों की इमेजिंग):
    • निमोनिया, टीबी, या कोविड से हुए फेफड़ों के नुकसान की पुष्टि करता है।
    • HRCT कोविड-से संबंधित लंग डैमेज को डिटेल में दिखाता है।
  3. CBC (Complete Blood Count), CRP और D-Dimer:
    • शरीर में सूजन, इंफेक्शन और थक्के बनने की स्थिति को दिखाते हैं।
    • D-Dimer पल्मोनरी एम्बोलिज़्म (फेफड़ों में ब्लड क्लॉट) का संकेत हो सकता है।
  4. SpO2 (ऑक्सीमीटर द्वारा):
    • ऑक्सीजन सेचुरेशन की घरेलू निगरानी के लिए ज़रूरी।
    • बार-बार चेक करें और गिरावट होने पर तुरंत डॉक्टर से मिलें।
  5. PFT (Pulmonary Function Test):
    • अस्थमा, ब्रोंकाइटिस या क्रॉनिक फेफड़ों की बीमारियों में जरूरी जांच।
  6. Sputum Test (बलगम की जांच):
    1. अगर बलगम में खून या पीले/हरे रंग का म्यूकस है तो यह टीबी या बैक्टीरियल इंफेक्शन हो सकता है।
    2. टेस्ट से बैक्टीरिया की पहचान कर दवा निर्धारित की जाती है।

उम्र के अनुसार लक्षणों का असर

बीमारियों के लक्षण अलग-अलग आयु वर्ग में अलग तरह से प्रकट हो सकते हैं। बच्चों, वयस्कों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं में बुखार, खांसी और सांस की तकलीफ के लक्षणों की पहचान समय पर करना जरूरी है, ताकि गंभीर स्थिति से बचा जा सके।

बच्चों में खांसी बुखार और सांस की तकलीफ:

  • 5 साल से कम उम्र के बच्चों में तेज़ बुखार (101°F से ऊपर), दूध पीने में कठिनाई, तेज़ हांफना, या बार-बार रोना गंभीर लक्षण माने जाते हैं।
  • बच्चों में वायरल फीवर और निमोनिया का खतरा अधिक होता है क्योंकि उनकी इम्यूनिटी पूरी तरह विकसित नहीं होती।
  • सांस लेने में दिक्कत हो, नाक फड़फड़ाए या पसलियां चलती दिखें — तो यह ऑक्सीजन की कमी (Hypoxia) का संकेत हो सकता है।
  • बच्चों को बार-बार सर्दी-जुकाम, खांसी या एलर्जी हो तो बाल रोग विशेषज्ञ से परामर्श करें।

वयस्कों में खांसी और बुखार के लक्षण:

  • वयस्कों में सूखी खांसी, एलर्जी से होने वाला सांस फूलना, और हल्का बुखार अक्सर मौसम परिवर्तन या प्रदूषण की वजह से होता है।
  • लेकिन अगर लक्षण लंबे समय तक (5 दिन से ज्यादा) बने रहें, या सांस लेने में तकलीफ हो तो डॉक्टर से तुरंत मिलना चाहिए।
  • कोविड-19, अस्थमा, पोस्ट कोविड ब्रोंकाइटिस या एलर्जी की प्रतिक्रिया वयस्कों में आम कारण हो सकते हैं।

बुजुर्गों में सांस लेने की दिक्कत और बुखार:

  • बुजुर्गों में बार-बार खांसी, हल्का या तेज़ बुखार, और सांस फूलना क्रॉनिक फेफड़ों की बीमारियों (COPD, फाइब्रोसिस) या हृदय संबंधी समस्याओं का लक्षण हो सकता है।
  • हार्ट फेलियर, डायबिटीज, और कम इम्यूनिटी वाले मरीजों को मामूली बुखार और खांसी भी गंभीर नुकसान पहुंचा सकती है।
  • अगर बुजुर्ग भ्रमित हों, सुस्त हों या ऑक्सीजन लेवल गिर रहा हो — तो यह सेप्सिस या हाइपोक्सिया का संकेत हो सकता है।

गर्भवती महिलाओं में बुखार और सांस की तकलीफ:

  • गर्भावस्था के दौरान बुखार, खांसी या सांस फूलना, मां और भ्रूण दोनों के लिए जोखिमभरा हो सकता है।
  • एनीमिया, प्रेग्नेंसी इंड्यूस्ड अस्थमा, या कोविड संक्रमण जैसे कारण सांस लेने में परेशानी पैदा कर सकते हैं।
  • तेज़ थकान, चलने में दिक्कत, या छाती में भारीपन हो तो तुरंत गायनेकोलॉजिस्ट से मिलें।

कब अस्पताल में भर्ती होना चाहिए? 

कुछ लक्षण ऐसे होते हैं जो संकेत देते हैं कि घर पर इलाज करना अब सुरक्षित नहीं है और मरीज को तुरंत अस्पताल ले जाना चाहिए:

  1. ऑक्सीजन लेवल 90% या उससे कम होना (ऑक्सीमीटर से जांचें)
  2. बुखार या खांसी 3–5 दिन से लगातार बने रहना और दवा से राहत न मिलना
  3. सांस लेने में तकलीफ के साथ नाक या होंठ नीले पड़ना
  4. बच्चों में हांफना, दूध न पीना, या बेहोशी जैसा व्यवहार
  5. बुजुर्गों में अचानक चुप हो जाना, चक्कर आना या जवाब देना बंद करना
  6. गर्भवती महिला को तेज थकावट, पेट में दर्द, या सांस लेने में परेशानी होना

ऐसे मामलों में देरी न करें और नजदीकी मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल या ICU सुविधा वाले हेल्थ सेंटर पर तुरंत पहुंचे।

निष्कर्ष

फीवर, खांसी और सांस की तकलीफ के लक्षण कई बार सामान्य वायरल संक्रमण से जुड़े होते हैं, लेकिन जब ये लक्षण लंबे समय तक बने रहें, गंभीर रूप लें या ऑक्सीजन लेवल पर असर डालें — तो इन्हें हल्के में लेना खतरनाक हो सकता है। हर उम्र के व्यक्ति में लक्षणों की तीव्रता और संकेत अलग हो सकते हैं, इसलिए सही समय पर पहचान और इलाज ज़रूरी है।

अगर आप या आपके परिवार में किसी को तेज़ बुखार, लगातार खांसी, या सांस लेने में तकलीफ हो रही है — तो देर न करें।

Paras Health में अनुभवी चेस्ट स्पेशलिस्ट और Pulmonologists उपलब्ध हैं, जो आपको सही निदान, टेस्ट और इलाज प्रदान करते हैं।

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Dr. Swetabh Purohit
Senior Consultant • PULMONOLOGY

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