PCOD और PCOS क्या हैं, इनमें क्या अंतर है और इनका इलाज कैसे होता है?
Oct 24, 2025
परिचय: PCOD और PCOS क्या होते हैं?
आज के समय में महिलाएं काम, परिवार, तनाव और बदलती जीवनशैली के बीच कई स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना कर रही हैं। इनमें से एक आम और बढ़ती हुई समस्या है — PCOD (Polycystic Ovarian Disease) और PCOS (Polycystic Ovary Syndrome)।
कई महिलाएं इन दोनों शब्दों को एक ही समझती हैं, जबकि सच्चाई यह है कि दोनों में फर्क है।
दोनों ही स्थितियाँ महिलाओं के प्रजनन तंत्र (Reproductive System) और हार्मोनल संतुलन (Hormonal Balance) से जुड़ी हैं, लेकिन उनका प्रभाव, गंभीरता और इलाज अलग-अलग होता है।
सरल शब्दों में समझें —
- PCOD में अंडाशय (ovaries) हर महीने कई अधपके (immature) अंडे छोड़ देते हैं, जो धीरे-धीरे सिस्ट (थैलियाँ) में बदल जाते हैं।
- जबकि PCOS में केवल अंडाशय नहीं, बल्कि पूरा शरीर — विशेषकर हार्मोन और मेटाबॉलिज्म सिस्टम — प्रभावित होता है।
अब चलिए दोनों के बीच का अंतर, कारण, लक्षण और इलाज विस्तार से समझते हैं।
PCOD (Polycystic Ovarian Disease) क्या है?
PCOD एक सामान्य लेकिन कंट्रोल की जा सकने वाली स्थिति है जिसमें अंडाशय में छोटे-छोटे सिस्ट बनने लगते हैं।
ये सिस्ट अधपके अंडों (immature eggs) से बनते हैं जो ओव्यूलेशन (ovulation) के दौरान रिलीज़ नहीं हो पाते।
PCOD के प्रमुख कारण
- हार्मोनल असंतुलन: शरीर में एस्ट्रोजन (Estrogen) और प्रोजेस्टेरोन (Progesterone) का असंतुलन।
- तनाव और नींद की कमी: लगातार तनाव (Stress) से हार्मोन बिगड़ जाते हैं।
- अनियमित जीवनशैली: देर रात तक जागना, एक्सरसाइज की कमी, और जंक फूड का ज़्यादा सेवन।
- मोटापा (Obesity): बढ़ा हुआ वजन हार्मोनल डिसबैलेंस को और बढ़ा देता है।
- जिनेटिक कारण (Genetic predisposition): परिवार में किसी को PCOD होने पर जोखिम बढ़ जाता है।
PCOD के आम लक्षण
- अनियमित माहवारी (Irregular periods)
- मुंहासे और ऑयली स्किन
- बालों का झड़ना
- चेहरे या ठोड़ी पर बाल बढ़ना (Hirsutism)
- वजन बढ़ना या कम न होना
- थकान और मूड स्विंग्स
क्या PCOD से प्रेग्नेंसी में समस्या होती है?
नहीं, आमतौर पर नहीं।
PCOD से प्रभावित महिलाएं थोड़े लाइफस्टाइल बदलाव के साथ सामान्य रूप से गर्भधारण कर सकती हैं।
PCOS (Polycystic Ovary Syndrome) क्या है?
PCOS एक गंभीर हार्मोनल और मेटाबॉलिक सिंड्रोम है।
इसमें शरीर में पुरुष हार्मोन (Androgen) का स्तर बढ़ जाता है, जिससे मासिक चक्र, ओव्यूलेशन और इंसुलिन का संतुलन बिगड़ जाता है।
PCOS के मुख्य कारण
- इंसुलिन रोधीता (Insulin Resistance): शरीर इंसुलिन का सही उपयोग नहीं कर पाता, जिससे शुगर और फैट जमा होते हैं।
- हार्मोनल असंतुलन: LH (Luteinizing Hormone) और FSH (Follicle-Stimulating Hormone) का अनुपात बिगड़ जाता है।
- जिनेटिक फैक्टर: अगर माँ या बहन को PCOS है, तो खतरा अधिक होता है।
- जीवनशैली: प्रोसेस्ड फूड, कम नींद, स्ट्रेस, और प्रदूषण।
PCOS के आम लक्षण
- लंबे गैप वाले या बंद पीरियड्स
- चेहरे या शरीर पर बालों का अत्यधिक बढ़ना (Hirsutism)
- मोटापा, खासकर पेट के आस-पास
- बाल झड़ना या बालों का पतला होना
- मुंहासे और ऑयली स्किन
- गर्भधारण में कठिनाई
- स्लीप डिसऑर्डर और मूड स्विंग्स
PCOS के दीर्घकालिक प्रभाव
अगर इलाज न किया जाए, तो PCOS से डायबिटीज़, हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोग और मानसिक तनाव जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं।
PCOD और PCOS में क्या फर्क है? (PCOD and PCOS me fark)
| तुलना के बिंदु |
PCOD |
PCOS |
|
प्रकृति |
Ovarian Disorder |
Endocrine & Metabolic Syndrome |
|
गंभीरता |
हल्की |
गंभीर |
|
हार्मोनल प्रभाव |
केवल अंडाशय तक |
पूरे शरीर पर |
|
इंसुलिन रोधीता |
सामान्य या हल्की |
अधिक |
|
वजन पर असर |
कभी-कभी |
लगभग हमेशा |
|
फर्टिलिटी पर असर |
अस्थायी |
दीर्घकालिक |
|
इलाज |
लाइफस्टाइल सुधार |
दवाइयों के साथ मेडिकल मैनेजमेंट |
|
जटिलताएँ |
सीमित |
Diabetes, Heart Disease, Infertility |
हर PCOD वाली महिला को PCOS नहीं होता, लेकिन हर PCOS में PCOD जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं।
कारण (Causes) — क्यों होता है PCOD या PCOS?
दोनों स्थितियों के पीछे कुछ सामान्य कारण हैं, लेकिन उनकी गंभीरता अलग होती है।
सामान्य कारण:
- हार्मोनल असंतुलन (Hormonal imbalance): ओव्यूलेशन को प्रभावित करता है।
- इंसुलिन रोधीता (Insulin resistance): शरीर में शुगर और फैट जमा होते हैं।
- तनाव (Stress): लगातार तनाव से कोर्टिसोल बढ़ता है, जिससे एंड्रोजेन हार्मोन भी बढ़ जाते हैं।
- अनियमित दिनचर्या: नींद, डाइट, और एक्सरसाइज की कमी।
- अनुवांशिक कारण (Genetic factors): अगर परिवार में किसी को PCOD या PCOS रहा हो।
लक्षण (Symptoms) – किन संकेतों पर ध्यान दें
PCOD और PCOS के लक्षण कई बार धीरे-धीरे विकसित होते हैं, इसलिए महिलाएं इन्हें सामान्य समझकर नज़रअंदाज़ कर देती हैं।
सामान्य लक्षण:
- अनियमित या गायब पीरियड्स
- चेहरे या ठोड़ी पर बालों का बढ़ना
- वजन बढ़ना, खासकर पेट के आसपास
- मुंहासे, ऑयली स्किन
- बालों का झड़ना या पतलापन
- गर्भधारण में कठिनाई
- थकान, मूड स्विंग्स, नींद में परेशानी
यदि ये लक्षण लगातार बने रहें, तो तुरंत गाइनकोलॉजिस्ट से जांच करवाएं।
जांच (Diagnosis) – कैसे पता चले कि PCOD है या PCOS?
- ब्लड टेस्ट: हार्मोन (LH, FSH, Testosterone, Insulin) की जांच।
- अल्ट्रासाउंड: अंडाशय में सिस्ट की उपस्थिति की पुष्टि।
- शुगर और लिपिड टेस्ट: मेटाबॉलिक स्थिति जांचने के लिए।
- शारीरिक जांच: वजन, बालों की ग्रोथ, एक्ने, आदि के आधार पर मूल्यांकन।
खून की जांच और अल्ट्रासाउंड से डॉक्टर PCOD या PCOS की पुष्टि करते हैं।
इलाज (Treatment) – PCOD aur PCOS ka ilaj kaise hota hai?
इलाज व्यक्ति के लक्षण, वजन और उम्र पर निर्भर करता है।
PCOD का इलाज:
- Lifestyle Modification: संतुलित आहार और नियमित व्यायाम।
- Healthy Diet: High-fiber और low-sugar फूड्स जैसे सब्जियाँ, ओट्स, दालें।
- Stress Control: योग, मेडिटेशन और पर्याप्त नींद।
- Medical Support: डॉक्टर की सलाह से हार्मोनल पिल्स या सप्लीमेंट्स।
PCOS का इलाज:
- Medication + Lifestyle: इंसुलिन सेंसिटाइज़र (जैसे Metformin), हार्मोनल दवाएँ।
- Fertility Treatment: अगर गर्भधारण में कठिनाई हो।
- Weight Management: कार्डियो और योग का नियमित अभ्यास।
- Long-Term Monitoring: डायबिटीज़ और हार्ट डिज़ीज़ से बचाव।
Paras Health में ऐसे मामलों के लिए विशेष PCOS क्लिनिक्स हैं जहाँ गाइनकोलॉजिस्ट, डायटीशियन और एंडोक्रिनोलॉजिस्ट मिलकर समग्र इलाज प्रदान करते हैं।
घरेलू उपाय और लाइफस्टाइल टिप्स
- रोज़ाना 40 मिनट वॉक या योग करें।
- फास्ट फूड, कोल्ड ड्रिंक, और मीठे स्नैक्स से दूरी रखें।
- पर्याप्त नींद लें (7-8 घंटे)।
- ग्रीन टी, अलसी (flax seeds), एवोकाडो, और प्रोटीन-रिच फूड डाइट में शामिल करें।
- कैफीन कम करें और धूम्रपान/शराब से बचें।
- Stress management के लिए मेडिटेशन अपनाएँ।
जटिलताएँ (Complications) – अगर समय पर इलाज न हो तो
अगर PCOD या PCOS का सही समय पर निदान और इलाज न हो, तो आगे चलकर ये गंभीर समस्याएँ बन सकती हैं:
- टाइप 2 डायबिटीज़
- हाई ब्लड प्रेशर
- कोलेस्ट्रॉल बढ़ना
- दिल की बीमारी
- बांझपन (Infertility)
- अवसाद और चिंता (Depression and Anxiety)
💡 इसलिए समय रहते डॉक्टर से सलाह लेना बहुत ज़रूरी है।
रोकथाम (Prevention) – क्या PCOD और PCOS से बचा जा सकता है?
हाँ, अगर आप अपनी जीवनशैली पर ध्यान दें तो इसे काफी हद तक रोका जा सकता है।
- पौष्टिक आहार लें।
- नियमित एक्सरसाइज करें।
- वजन नियंत्रित रखें।
- साल में एक बार हार्मोनल चेकअप करवाएँ।
- तनाव से बचें और पर्याप्त नींद लें।
Key Facts
- PCOD एक सामान्य और कंट्रोल योग्य स्थिति है।
- PCOS एक सिंड्रोम है जो पूरे शरीर को प्रभावित करता है।
- दोनों स्थितियों का मुख्य कारण हार्मोनल असंतुलन है।
- PCOS में डायबिटीज़ और दिल की बीमारी का जोखिम बढ़ जाता है।
- लाइफस्टाइल बदलाव से दोनों स्थितियों में सुधार संभव है।
- जल्दी पहचान और इलाज से फर्टिलिटी बनी रहती है।
- PCOS का इलाज लंबे समय तक मॉनिटरिंग के साथ होता है।
- तनाव और मोटापा इन दोनों के मुख्य ट्रिगर हैं।
- गाइनकोलॉजिस्ट से नियमित जांच करवाना ज़रूरी है।
- Paras Health में PCOD-PCOS के लिए समर्पित विशेषज्ञ टीम उपलब्ध है।
FAQs
PCOD और PCOS में क्या फर्क है?
PCOD में अंडाशय में सिस्ट बनते हैं, जबकि PCOS में हार्मोनल असंतुलन पूरे शरीर को प्रभावित करता है। PCOS ज़्यादा गंभीर होता है और मेटाबॉलिक बदलाव लाता है।
क्या PCOD और PCOS एक ही चीज़ हैं?
नहीं, दोनों अलग हैं। PCOD एक अंडाशय संबंधी समस्या है, जबकि PCOS एक सिंड्रोम है जो हार्मोन और इंसुलिन दोनों को प्रभावित करता है।
क्या PCOD या PCOS में प्रेग्नेंसी हो सकती है?
हाँ, दोनों में प्रेग्नेंसी संभव है। PCOD में आसान होती है, जबकि PCOS में डॉक्टर की मदद और सही इलाज से संभव बनती है।
PCOD का इलाज क्या है?
लाइफस्टाइल सुधार, संतुलित डाइट, नियमित एक्सरसाइज और डॉक्टर की सलाह से दवाएँ लेकर PCOD को कंट्रोल किया जा सकता है।
PCOS का प्राकृतिक इलाज क्या है?
योग, तनाव-नियंत्रण, शुगर कम करना और पौष्टिक आहार लेना PCOS में प्राकृतिक सुधार लाता है, साथ ही वजन घटाना भी फायदेमंद है।
क्या PCOD या PCOS जीवनभर रहता है?
नहीं, अगर सही डाइट, एक्सरसाइज और नियमित मॉनिटरिंग की जाए तो दोनों स्थितियाँ पूरी तरह नियंत्रित की जा सकती हैं।
PCOS में वजन क्यों बढ़ता है?
इंसुलिन रोधीता और हार्मोनल असंतुलन के कारण शरीर फैट स्टोर करने लगता है, जिससे वजन बढ़ता है और घटाना मुश्किल हो जाता है।
PCOD में पीरियड्स अनियमित क्यों होते हैं?
अंडाशय अधपके अंडे छोड़ते हैं, जिससे ओव्यूलेशन रुक जाता है और पीरियड्स अनियमित या गायब हो जाते हैं।
PCOD या PCOS की जांच कैसे होती है?
ब्लड टेस्ट से हार्मोन लेवल मापा जाता है और अल्ट्रासाउंड से अंडाशय की स्थिति देखी जाती है ताकि सही निदान हो सके।
PCOD या PCOS में किस डॉक्टर को दिखाना चाहिए?
गाइनकोलॉजिस्ट या एंडोक्रिनोलॉजिस्ट सबसे उपयुक्त विशेषज्ञ हैं जो आपकी हार्मोनल और प्रजनन से जुड़ी स्थिति का सही इलाज करेंगे।
निष्कर्ष
PCOD और PCOS दोनों आज की जीवनशैली से जुड़ी आम लेकिन गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ हैं।
अगर इन्हें नज़रअंदाज़ किया जाए, तो आगे चलकर प्रजनन क्षमता, हार्मोनल स्वास्थ्य और हृदय रोगों पर असर पड़ सकता है।
सबसे अच्छी बात यह है कि — ये दोनों स्थितियाँ कंट्रोल की जा सकती हैं अगर आप अपने शरीर को समझें और समय रहते कदम उठाएँ।
याद रखें:
“आपका शरीर आपको संकेत देता है — बस ज़रूरत है उसे सुनने की।”
अगर आपको अनियमित पीरियड्स, वजन बढ़ना, या हार्मोनल बदलाव महसूस हो रहे हैं,
तो देर न करें — Paras Health के अनुभवी Gynaecologists और Endocrinologists से संपर्क करें।






